BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायगढ़ के तत्कालिन एसडीएम पर लगे भूमि अधिग्रहण व मुआवजा वितरण में करोड़ों के गबन के आरोप से मुक्त किया है। साथ ही उन पर लगाए गए 420 की धाराओं के अलावा अन्य कई धाराओं के आधार पर पेश की गई चार्ज सीट को भी खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के बेंच में हुई। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा पारित आदेश राजस्व अधिकारी के न्यायिक कर्तव्यों का ही हिस्सा है था इसलिए उन्हें न्यायिक संरक्षण अधिनियम 1985 के तहत पूर्ण सुरक्षा प्राप्त है।
ये भी पढ़ेंःबेटे ने पिता से शराब पीने के लिए मांगे पैसे, मना करने पर अपने घर को ही लगा दी आग
बता दें, जशपुर निवासी तीर्थराज अग्रवाल वर्ष 2013–14 में रायगढ़ में एसडीएम थे। इस दौरान ग्राम झिलगीतर में एनटीपीसी लारा परियोजना के लिए 160 हेक्टेयर भू-अर्जन व मुआवता वितरण की प्रक्रिया को पूरा कराया था। मुआवजा वितरण में बडे पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत मिली थी।
शिकायत में कहा कि वास्तविक भूमि स्वामियों को मुआवजा देने के बजाय कागजों में फर्जी किसान बनाकर मुआवजा राशि हड़प ली गई है। यह भी आरोप था, कि फर्जी खाता विभाजन, कर्ज पुस्तिकाएं और फर्जी खातों के माध्यम से सात लोगों को लाखों रुपये की राशि बांट दी गई है।
ये भी पढ़ेंःनाबालिग बच्चियों के अश्लील फोटो अपलोड करने वाले को पुलिस ने धर दबोचा
मामले की जांच में शिकायत सही पाए जाने पर भू-अर्जन और मुआवजा घोटाले में तत्कालीन एसडीएम तीर्थराज अग्रवाल व अन्य को आरोपी बनाते हुए पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। तीर्थराज अग्रवाल ने एफआईआर को रद्द करने हाई कोर्ट में याचिका लगाई। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता का नाम पुलिस ने एफआईआर में बाद में जोड़ा है।
पहले दर्ज एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम नहीं था। बाद में पुलिस ने बिना किसी पुख्ता प्रमाण के जोड़ दिया। जांच रिपोर्ट या गवाहों के बयान में भी याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई ठोस आरोप नहीं है। उन्होंने केवल राजस्व रिकार्ड के आधार पर कानूनी प्रक्रिया के तहत मुआवजा आदेश पारित किया था।