बिलासपुर। एक कहावत है कि ‘का वर्षा जब कृषि सुखाने” यानी फसल के सूख जाने के बाद बारिश का कोई फायदा नहीं होता। न्याय में देरी के एक मामले में यह कहावत फिट बैठ रही है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में आरोपी को दोष मुक्त करार दिया है। लेकिन दु:ख की बात ये है जिस वन विभाग के बीट गार्ड को दोष मुक्त किया गया है, वह अब इस दुनिया में नहीं है। 21 महीने पहले ही उसकी मृत्यु हो चुकी है। यानी जिसे दोष मुक्त किया गया, अब वह भ्रष्टाचार का दाग मिटने की खुशी मनाने के लिए इस दुनिया में नहीं है।
मामला 22 साल पुराना है। शिव प्रसाद नाम के शख्स 1999 में वन विभाग दुर्ग में बीट गार्ड के पद पर थे। बचाव पक्ष के अनुसार उन्हें अपने वन क्षेत्र में लकड़ी चोरी की सूचना मिली। इस पर शिव प्रसाद लकड़ी जब्त करने मौके पर पहुंच गए। इसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई कि शिव प्रसाद द्वारा एक हजार स्र्पये की मांग की गई। सुनवाई के लिए मामला विशेष अदालत में पहुंचा और उन्हें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत सजा सुनाई गई। इस फैसले के खिलाफ 2003 में शिव प्रसाद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। तारीखें मिलती रहीं, सुनवाई भी होती रही, लेकिन फैसला नहीं आया। इसी बीच दिसंबर 2019 में शिव प्रसाद की मृत्यु हो गई।
इसके बाद मामले की सुनवाई 2021 में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विवेक शर्मा के अनुसार न्यायालय ने उनके तर्कों को सही मानते हुए निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और शिव प्रसाद को दोष मुक्त करार दे दिया। विवेक के अनुसार यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पीड़ित अब न्याय को सुनने और देखने के लिए जीवित नहीं है।
(TNS)