BILASPUR. 32 साल जल संसाधन विभाग में काम करने के बाद रिटायर हुए कर्मचारी को विभाग ने बिना किसी कारण रिटायरमेंट बेनिफिट का भुगतान नहीं किया। सेवानिवृत्ति देयकों के लिए 10 साल तक कानूनी लड़ाई भी लड़ी, लेकिन मुकदमा लड़ते-लड़ते उसकी मौत हो गई। फिर आगे की लड़ाई पत्नी ने लड़ी। अब 14 साल बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला है। मामले की सुनवाई जस्टिस सचिन सिंह राजपूत के बेंच में हुई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य शासन को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ता को उनके पति के रिटायरमेंट बेनिफिट की राशि का भुगतान ब्याज के साथ किया जाए।
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बता दें, महासमुंद जिले के नयापारा निवासी शाहिदा कुरैशी ने अपने अधिवक्ता अब्दुल बहाव खान के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। दायर याचिका में कहा था कि उसके पति शमीम अख्तर कुरैशी कार्यपालन अभियंता विद्युत यांत्रिकी भारी संयंत्र संभाग जल संसाधन संभाग रायपुर के अंतर्गत ग्रेड-3 समयपाल के पद पर कार्यरत थे।
सेवाकाल पूरा करने पर वर्ष 2010 में सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। रिटायरमेंट के बाद भी अवकाश नगदीकरण मद की राशि का भुगतान विभाग के द्वारा नहीं किया गया। पति ने सबसे पहले विभागिय अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन पेश कर राशि के भुगतान की मांग की।
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विभागीय अफसरों से लगातार वे इस संबंध में गुहार लगाते रहे। अफसरों ने नहीं सुनी। इसी बीच पति की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद शाहिदा कुरैशी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में न्याय के लिए गुहार लगाई। अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका दायर की।
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कोर्ट ने जल संसाधन विभाग मुख्य अभियंता जल संसाधन विभाग व कार्यपालन अभियंता भारी संयंत्र संभाग जल संसाधन संभाग रायपुर को नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता को उनके पति के अवकाश नगदीकारण सहित रिटायरमेंट बेनिफिट का भुगतान ब्याज सहित 60 दिनों के भीतर करने का निर्देश दिया है।