दुर्ग। लोगों को फर्जीवाड़े से बचने की सलाह देने वाले बैंक अधिकारी ही ठगी के शिकार होने लगे हैं। ताजा मामले में दुर्ग शहर से ऐसा ही एक केस आया जिसमे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शाखा प्रबंधक ने ठग के झांसे में आकर लापरवाही की सीमा तोड़ दी। अज्ञात कॉलर ने अपने आप को दुर्ग के कारोबारी कैलाश मध्यानी का पार्टनर बताया तो उसके झांसे में आकर बैंक मैनेजर 18 लाख रुपए दो अलग-अलग अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। जब ठगी का अहसास हुआ तो बैंक मैनेजर ने मोहन नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई।
मोहन नगर पुलिस के अनुसार यह मामला भारतीय स्टेट बैंक एसएमई शाखा अग्रसेन चौक पास स्टेशन रोड दुर्ग का है। उक्त शाखा के प्रबंधक अनुरंजन कुमार प्रजापति के मोबाइल पर 24 जनवरी दोपहर 1:00 बजे अज्ञात व्यक्ति का फोन आया। उसने अपने आप को दुर्ग के कारोबारी कैलाश मध्यानी का पार्टनर वेंकटेश मोटर्स का मालिक बताया। इसके बाद उसने बैंक मैनेजर से उनकी शाखा में एफडी खोलने की बात कही जिसके लिए स्वयं बैंक आने की जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि कुछ देर बाद ब्रांच मैनेजर के मोबाइल पर फिर से कॉल कर उक्त व्यक्ति ने रास्ते में जरूरी काम से फंस जाने की बात कहते हुए बैंक मैनेजर को अर्जेंट 2 खातों में रुपए ट्रांसफर करने कहा। यह भी कहा कि उतने अमाउंट का चेक बैंक आकर मैं जमा कर दूंगा। इसके बाद कॉलर ने ब्रांच मैनेजर के मेल पर खातों की जानकारी भेजी जिसमें रुपए ट्रांसफर करवाने थे। इसके लिए उसने उसी शाखा के खाता नंबर 40052523465 से रुपए ट्रांसफर करने कहा। यह खाता वेंकटेश मोटर्स के नाम पर था।
पुलिस ने बताया कि कॉलर ने चेक नंबर बताते हुए भेजे जाने वाले खाते की जानकारी राशि के साथ दी। कॉलर ने परमजीत कौर को इंडसइंठ बैंक के खाता नंबर 158264533248 पर 945800 रुपए तथा कांती रानी को आईसीआईसीआई बैंक के खाता संख्या 246801504460 में 87898 रुपए ट्रांसफर करने कहा। इसके एवज में कॉलर ने दो चेक नंबर 248695 एवं 248655 बताए जो बैंक आकर जमा करने की जानकारी दी।
पुलिस ने बताया कि बैंक मैनेजर ने उक्त दोनों चेक नंबर व खाता नंबर जांचे जो रिकार्ड के अनुसार सही पाए गए। इसके बाद ग्राहक को परेशानी से निकालने की सोचकर बैंक मैनेजर ने आरटीजीएस के द्वारा उक्त दोंनों खातों में 18 लाख 24 हजार 780 रुपए ट्रांसफर कर दिए। इसके कुछ देर बाद फिर उस अज्ञात कॉलर का फिर फोन आया और दो और खातों में आरटीजीएस करने कहा।
इस पर बैंक मैनेजर को शक हुआ तो उन्होंने अपने बैंक के खातेदार कैलाश मध्यानी को फोन कर जानकारी मांगी। कैलाश मध्यानी ने ऐसे किसी भी लेनदेन से इंकार किया। तब जाकर बैंक मैनेजर को अहसास हुआ कि वह बड़ी ठगी का शिकार हो गया है। इसके बाद इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और मोहन नगर थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
बैंक मैनेजर अनुरंजन कुमार प्रजापति ने बताया कि कैलाश मध्यानी उनकी शाखा के सम्मानीय ग्राहक हैं। कॉलर द्वारा ही मेल पर भेजी गई चेक नंबर की जानकारी और खाते नंबर की जानकारी मिलान करने पर सही पाई गई इस वजह से हमने रकम ट्रांसफर की।
इधर इस मामले में मोहन नगर पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 420 के तहत अपराध दर्ज कर अज्ञात आरोपी की तलाश शुरू कर दी हैं। पुलिस इस दिशा में भी जांच कर रही है कि अज्ञात कॉलर के पास वेंकटेश मोटर्स खाता नंबर और उस खाते से संबंधित चेक की जानकारी कैसे पहुंची। फिलहाल मोहन नगर पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है।