RAIPUR. छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू, डेंगू, मलेरिया का कहर है। इसके लिए पहले से अलर्ट जारी किया जा चुका है। इस बीच, मंकीपॉक्स (एम-पॉक्स) को लेकर राज्य सरकार ने आज यानी 28 अगस्त को एडवाइजरी जारी कर दी। जारी एडवाइजरी के मुताबिक गांव-गांव में कैंप लगाकर जांच करने और लोगों को जागरूक करने के लिए निर्देश दिया है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को मंकी पॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। कोई केस सामने आने पर स्टेट हेल्थ डिपार्टमेंट इसकी जानकारी लेगा। प्रदेश के आदिवासी और नक्सल इलाके में कैंप लगाकर लोगों की जांच की जाएगी। बीमारी के लक्षणों के बारे में लोगों को बताया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिले के सभी विकास खंडों और ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर जांच करने कहा है। मंकी-पॉक्स सर्वे-लेंस किया जाएगा। जिला स्तरीय रैपिड रिस्पॉन्स टीम इसे लेकर काम करेगी। मंकी-पॉक्स के संभावित प्रकरणों की जांच के लिए निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सैंपल संग्रहण कर जांच होगी। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि मंकी-पॉक्स के हर पॉजिटिव मरीज के सभी संपर्क व्यक्ति की पहचान करने के लिए सभी जिलों में जिला सर्वेलेंस अधिकारी कांट्रैक्ट ट्रेसिंग कराएंगे। 21 दिनों तक मरीज की मॉनिटरिंग होगी। इसके साथ ही प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों को अलर्ट मोड पर रखा गया है। बता दें कि अभी तक प्रदेश में मंकी पॉक्स का एक भी केस सामने नहीं आया है।
ऐसे फैलता है संक्रमण
मरीज के घाव से निकलकर यह वायरस आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश करता है। इसके अलावा बंदर, चूहे, गिलहरी जैसे जानवरों के काटने से या उनके खून और बॉडी फ्लूइड्स को छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक ठीक से मांस पका कर न खाने या संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी आप इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं।
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ये हैं मंकी-पॉक्स लक्षण
मंकीपॉक्स नाम के वायरस की वजह से होती है। मंकीपॉक्स भी स्मॉलपॉक्स (चेचक) परिवार के वायरसों का ही हिस्सा है। हालांकि, इसके लक्षण स्मॉलपॉक्स की तरह गंभीर नहीं, बल्कि हल्के होते हैं। मंकीपॉक्स बहुत कम मामलों में ही घातक होता है। मंकी-पॉक्स एक जेनेटिक बीमारी है, जो मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में मिली। अब भारत के केरल राज्य में मार्च 2024 में इसके केस मिले हैं। मंकी-पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति में सामान्यतः बुखार, चकत्ते और लिंप नोड्स में सूजन पाई जाती है। मंकी-पॉक्स एक स्व-सीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है। जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
स्वास्थ्य िवभाग के अनुसार बुखार या फ्लू के लक्षण वाले व्यक्ति के संपर्क में न आएं। इसके बाद भी अगर परिवार में किसी व्यक्ति को फ्लू जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो उसको तुरंत डॉक्टरों के पास लेकर जाएं और इलाज कराएं। अपने घर में साफ सफाई का ध्यान रखें। इस बीमारी के दौरान जानवर के संपर्क में न आए। हाथ धोकर ही भोजन या कोई खाद्य पदार्थ उपयोग करें। विदेश से आए किसी व्यक्ति के संपर्क में आए हैं। मंकी पॉक्स का कोई भी लक्षण दिखने पर उसे छुपाएं नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दें। इससे अाप और आपका परिवार सुरक्षित रहेगा।