रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियो वार्ता लोकवाणी की 23वीं कड़ी का प्रसारण 14 नवंबर को सुबह किया गया। मुख्यमंत्री लोकवाणी में इस बार उद्यमिता और जनसशक्तिकरण का छत्तीसगढ़ मॉडल पर बातचीत की। छत्तीसगढ़ स्थित आकाशवाणी के सभी केंद्रों, एफएम रेडियो और क्षेत्रीय समाचार चैनलों से सुबह 10.30 से 11 बजे तक चले लोकवाणी का प्रसारण किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बाल दिवस के मौके पर बच्चों को पंडित जवाहर लाल नेहरू के जीवन परिचय के बारे में बताते हुए उन्हें संघर्षों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आजादी के समय देश में सुई तक का निर्माण नहीं होता था। तब अपनी दूरदृष्टि से उन्होंने पंचवर्षीय योजनाएं चलाकर उद्योग और एम्स जैसे संस्थानों की नींव रखी। सूरजपुर की बंद पड़ी कोयला खदानों में फ्लोटिंग रेस्टोरेंट जैसे नवाचार से स्थानीय लोगों के जीवन को बदलने की दिशा में काम किया। उन्होंने कहा कि यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि अपने क्षेत्र में वाटर लेवल कम होने को गंभीरता से लिया। अपने ही खेत में तालाब बनाया और उसमें मछली का उत्पादन शुरू किया। इस तालाब से दो क्विंटल मछली बेच चुके हैं। इसके अलावा आप अपने खेत में धान के अलावा चना, गन्ना, अरहर जैसी फसलें भी ले रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि हमारे युवा साथी इसी तरह का मॉडल अपना सकते हैं। हमारी राजीव गांधी किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना, मछली पालन में सब्सिडी आदि का लाभ जिस तरह से विवेक ने लिया है, वैसा अन्य लोग भी लें। इससे आप अपने गांव में बने रहेंगे। गांव की अर्थव्यवस्था और अधोसंरचना के विकास में मदद करेंगे।
मैंने पहले भी कहा है कि गांव खुशहाल होंगे तभी शहर में समृद्धि आएगी। छत्तीसगढ़ के विकास का यही रास्ता है। छत्तीसगढ़ मॉडल की सफलता का यही पैमाना है।
भूपेश बघेल ने कहा कि मुंगेली जिले के भाई जन्मेजय नेताम। कोण्डागांव जिले के अंजोरी नेताम। राजनांदगांव जिले की सुखियारिन बहन नारायणपुर जिले के पारेख यादव। बलौदाबाजार जिले की सावित्री वर्मा, शैल वर्मा जैसे बहुत से लोगों ने अपने गांवों में ही खेती, गौठान, मछली पालन जैसे कामों से जुड़कर और नए-नए तरीके अपनाकर मुझे वास्तव में बहुत बड़ी खुशी दी है। पहले जब मैं छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी की तस्वीर बदलने, गांवों में नए संसाधनों से, नई तकनीक से खेती करने और परंपरागत आजीविका में सुधार की बात करता था तो लोग इसे मजाक में लेते थे। लोगों को लगता था कि छत्तीसगढ़ में परंपरागत काम-धंधे के तरीके और तकनीक को बदलना असंभव है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मुझे यह मौका मिला कि मेरी जो मूल सोच थी, उसे करके दिखाऊं।
हमारे सामने एक परंपरागत मॉडल गांधी जी का था। एक आधुनिक मॉडल पंडित नेहरू का था। श्रीमती इंदिरा गांधी की दृढ़ इच्छा-शक्ति का मॉडल भी था और श्री राजीव गांधी द्वारा टेक्नॉलोजी से बदलाव का मॉडल भी था। लोगों को साथ लेकर चलना और आगे बढ़ाना हमारी विरासत है, इसलिए मुझे विश्वास था कि जब हम ठोस तरीके से योजनाएं सामने रखेंगे तो आपका भरोसा जरूर जीतेंगे। अब गांव-गांव से खेती के नए तरीकों की खबरें आ रही हैं। धान के अलावा फल, फूल, सब्जी उत्पादन, इनका प्रसंस्करण, इनको बेचने के नए-नए तरीके, इनसे होने वाले लाभ और लाभ का सही निवेश अपनी माटी में करने के उपाय।
ये सब मुझे गांव के लोग, युवा साथी और खासकर महिला समूह की बहनें बताने लगे हैं, इससे ज्यादा संतोष, गर्व और खुशी की बात क्या हो सकती है कि तीन साल पूरा होते-होते हम एक सपना साकार होते देख रहे हैं। मल्चिंग विधि से खेती के बारे में पहले कोई बात नहीं करता था, अब गांव-गांव में इसकी चर्चा हो रही है। मैं उन सभी किसान भाइयों-बहनों-युवा साथियों को साधुवाद देता हूं, जिन्होंने अपनी सोच में बदलाव लाकर नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाए हैं।
TNS