गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। जिले के मरवाही वनमंडल में 7 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ था। मामले के दोषियों पर एक माह पहले मंत्री के कार्रवाई की घोषणा के बाद भी अधिकारी-कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं की गई। इससे नाराज विधायक ने एसपी से शिकायत की है।
विधानसभा में इन अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा खुद पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने की थी, मगर अब तक ये अधिकारी-कर्मचारी इसी जिले में टिके हुए हैं।
मामले के अनुसार जिले के मरवाही वन मंडल के गौरेला रेंज के ग्राम चुकतीपानी, टाड़पथरा, पकरिया, केंवची, पंड़वनिया और तराईगांव में पुलिया और स्टापडैम का निर्माण कराना था। इन गांवों में 33 काम के लिए सामग्री की राशि निकालकर गबन कर लिया गया, जबकि काम हुआ ही नहीं है।
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही कलेक्टर की जांच में यह साबित भी हो गया था। इस तरह से कुल मिलाकर 7 करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया था। कुछ जगह पर काम किए भी गए थे, लेकिन वह समय से पहले ही खराब हो गए। बताया गया था की यह सभी काम पंचायत विभाग के मनरेगा के तहत होने थे।
इस मुद्दे को कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने विधानसभा में उठाया था, जिसके बाद पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कुल 15 अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा कर दी थी। इन 15 में से 14 का निलंबन किया जाना था, जबकि रिटायर्ड हो चुके अधिकारी से पैसे वसूलने की बात कही गई थी।
इसमें जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी गजेंद्र सिंह ठाकुर का नाम भी शामिल है। उनके अलावा एक रिटायर्ड डीएफओ राकेश कुमार मिश्र का नाम भी शामिल था, जिससे पैसे वसूलने की बात कही गई थी।
जांच में ये दोषी पाए गए
राकेश कुमार मिश्र, सेवानिवृत्त – तत्कालीन प्रभारी वन मंडलाधिकारी, केपी डिंडौरे – तत्कालीन उप वन मंडलाधिकारी , रेला, गोपाल प्रसाद जांगड़े – तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी, अंबरीश दुबे – तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक गौरेला, अश्वनी कुमार दुबे -तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक केंवची, उदय तिवारी – तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पिपरखुंटी, अनूप कुमार मिश्रा – तत्कालीन परिक्षेत्र सहायक पंकरिया, राजकुमार शर्मा, सेवानिवृत्त – तत्कालीन प्रभारी परिक्षेत्र अधिकारी गौरेला, वीरेंद्र साहू – तत्कालीन वन रक्षक चुकतीपानी, दीपक कोसले – तत्कालीन वन रक्षक ठाडपथरा, देवेंद्र कश्यप – तत्कालीन वन रक्षक पंडवनिया, पन्नालाल जांगड़े – तत्कालीन वन रक्षक आमानाला, नवीन बंजारे – तत्कालीन वन रक्षक, पकरिया, लाल बहादुर कौशिक – तत्कालीन वन रक्षक, केंवची, नीतू ध्रुव – तत्कालीन वन रक्षक ठेंगाडांड
बता दें कि मामले में कार्रवाई के लिए 21 मार्च को हुई घोषणा के एक महीने बाद भी दोषी मजे से घूम रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दोषी अधिकारी यहीं काम कर रहे हैं। इस बीच जब ये मामला फिर से तूल पकड़ने लगा तब गौरेला रेंजर गोपाल प्रसाद जांगड़े के निलंबन का आदेश जारी हुआ है। वहीं मामले पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा फिलहाल ये विधानसभा की अवमानना का मामला नहीं बन रहा, पर देर होगी तो अवमानना का भी मामला बनेगा। उन्होंने जानकारी दी कि मैंने अधिकारियों से बात की है उन्होंने कहा था कि फाइल पंचायत मंत्री को भेज दी है।
विरोध में विपक्ष ने खोला मोर्चा
दूसरी ओर मामले को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है। जेसीसीजे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष के हस्तक्षेप करने के बाद निलंबन की घोषणा पर अमल नहीं हो रहा है तो ये विधानसभा की आवमानना है। इधर आदिवासी नेता संतराम नेताम ने भी एसपी से शिकायत की है।
(TNS)