NEW DELHI/RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लेवी घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। उच्चतम न्यायालय ने निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व सीएम की सचिव रहीं सौम्या चौरसिया और कारोबारी सूर्यकांत तिवारी कड़ी शर्तो के साथ अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह शर्त लगाई है कि इन्हें छत्तीसगढ़ से बाहर रहना होगा।
छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला लवी घोटाले में आज सुप्रीम कोर्ट में इन आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपंकर दत्ता की डबल बेचने निलंबित आईएएस रानू साहू, सूर्यकांत तिवारी और पूर्व सीएम भूपेश बघेल की सचिव रहे चौरसिया को अंतरिम जमानत शर्तों के साथ दे दी है। इसमें कहा गया है कि इन्हें छत्तीसगढ़ से बाहर रहना होगा गवाहों को प्रभावित करने की आशंका के चलते छत्तीसगढ़ में रहने पर कोर्ट ने पाबंदी लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट से तीनों का जमानत तो मिल गई है, लेकिन कई और मामले चल रहे हैं, इसलिए जेल में रहना होगा। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई भी आरोपी गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने या जांच में बाधा डालने की कोशिश करता है, तो राज्य सरकार अदालत में आवेदन देकर उनकी जमानत रद्द करवा सकती है।
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इस साल मार्च में छत्तीसगढ़ कोयला लेवी घोटाले के मामले में पूर्व सिविल सेवक सौम्या चौरसिया, रानू साहू और अन्य को अंतरिम जमानत दी गई थी, और मई की शुरुआत में आरोपी-लक्ष्मीकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय और पारेख कुर्रे को अंतरिम जमानत दी गई थी, लेकिन डीएमएफ घोटाले में दर्ज एक मामले जैसे अन्य मामलों में आरोपियों ने जमानत के लिए कुछ नई जमानत याचिकाएं दायर की थीं।
छत्तीसगढ़ की जांच एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण विंग (EOW) ने दो दिन पहले इस केस में चार्जशीट पेश की है। इस तरह, इनके ख़िलाफ़ डीएमएफ केस में मुक़दमा शुरू हो गया है और ज़मानत नहीं मिली है। इसलिए डीएमएफ केस के कारण इनकी रिहाई अभी संभव नहीं है।