NEW DELHI NEWS. इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक विवादित आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि लड़की के स्तनों को पकड़ना और उसके पायजामे की डोरी तोड़ना बलात्कार के प्रयास का आधार नहीं बन सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर आपत्ति जताते हुए न्यायाधीश की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने कहा कि यह निर्णय न केवल संवेदनशीलता की कमी दिखाता है, बल्कि इसे सुरक्षित रखने के चार महीने बाद सुनाया गया। अदालत ने विशेष रूप से फैसले के पैरा 21, 24 और 26 पर रोक लगाते हुए कहा कि इनमें की गई टिप्पणियां न तो कानून के अनुरूप हैं और न ही मानवीय दृष्टिकोण से उचित हैं।
इस मामले को ‘वी द वुमन ऑफ इंडिया’ नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उठाया था, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने इस पर स्वत: संज्ञान लिया। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से भी इस पर जवाब मांगा है। साथ ही, एटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सहयोग की मांग की गई है।
गौरतलब है कि इससे पहले 24 मार्च को जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था।
ये भी पढ़ेंःकिसान से रिश्वत लेते पकड़ी गयी महिला पटवारी, वीडियो वायरल होने पर कलेक्टर ने किया सस्पेंड
यह विवादित फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने दिया था। उन्होंने दो आरोपियों, पवन और आकाश, द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए टिप्पणी की थी कि केवल पीड़िता के स्तनों को पकड़ने और उसके पायजामे की डोरी खींचने से बलात्कार का प्रयास नहीं माना जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि यह कृत्य सिर्फ तैयारी नहीं, बल्कि बलात्कार के प्रयास की दिशा में आगे बढ़ चुका था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश की कठोर आलोचना करते हुए इसे असंवेदनशील करार दिया और इस पर रोक लगा दी।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मां के साथ घर जा रही बच्ची को गाड़ी में घर छोड़ने के बहाने कुछ दूर ले जाकर आरोपियों पवन और आकाश ने 11 साल की पीड़िता के स्तनों को पकड़ा और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन लड़की के शोर करने पर और राहगीरों के पहुंचने के कारण, आरोपी पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। उन्होंने दुष्कर्म का अपराध कारित नहीं किया।