JALON NEWS. बुंदेलखंड की धरा को चंदन से भरने के लिए जालौन के किसानों ने पहल शुरू कर दी है। जालौन जिले के किसानों का एक समूह चंदन की खेती को समझने के लिए बैंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी (IWST) पहुंचा है। प्रगतिशील किसान लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी के नेतृत्व में किसान चंदन की पौध तैयार करने, रखरखाव और उसके उपयोग सीख रहे हैं।
बैंगलुरु में में डॉ. एन. पलानीकांत, IFS हेड एक्सटेंशन डिवीजन राजेश एस. कल्लाजे, IFS निदेशक, ICFRE बेंगलुरू डॉ. नरसिमा, मुरथु विज्ञान एवं प्रमुख एफपी प्रभाग की उपस्थिति में डॉ. नरसिम्हामूर्ति, डॉ. एएन अरुण कुमार, डॉ. एन. रवि ने उत्तर प्रदेश से पहुंचे जालौन जिले के प्रगतिशील किशन शिवशंकर चतुर्वेदी को प्रशिक्षित किया। इस दौरान अंकित पटेल, रोहितस्व पुरोहित, नयन राज तिवारी, हेमन्त विश्व, श्रीराम त्रिपाठी ने भी सहभागिता की।
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प्रशिक्षा के दूसरे दिन नर्सरी, चंदन के पेड़ का रखरखाव, कीट नियंत्रण, बीज का चुनाव एवं तेल का निर्धारण का समय के बारे में जानकारी दी गई। किसानों को तेल निकालने की विधि भी बताई गई। कर्नाटक के किसान किशन रमेश बलुतगी ने चंदन की खेती से जुड़े अपने अनुभव बताए। इसके अगले दिन प्रशिक्षण को गए किसानों ने खेतों में जाकर काम किया और चंदन की खेती को समझा।

बैंगलुरु स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ वुड साइंस एंड टेक्नोलॉजी
प्रशिक्षण का गए किसानों को IWST में ICFRE के निदेशक राजेश एस. कल्लाजे. IFS ने दिव्य चंदन प्रशिक्षण के समापन पर नबोधित प्रगतिशील किसान प्रमाण पत्र वितरित किए। प्रमाण पत्र पाने वालों में लक्ष्मी नारायण चतुर्वेदी शालाबाद, शिवशंकर चतुर्वेदी कुकरगांव, रोहितास्व पुरोहित जरा, हिमांशु पटेल शालाबाद, नयनराज तिवारी भिटारा, हेमन्त निसवा शामिल है। 28 सितंबर को किसानों ने मयूर महल में चंदन की लकड़ी से निर्मित कलाकृतियों को देखा। इसके बाद किसानों ने वृंदावन गार्डन में जालौन जिले को चंदन की खेती से महकाने का संकल्प लिया।
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संस्थान ने स्वीकारा लक्ष्मीनारायण का आग्रह
प्रशिक्षण के दौरान जालौन जिले के प्रगतिशील किसान लक्ष्मीनारायण चतुर्वेदी ने संस्थान के अधिकारियों को बताया कि संस्थान के विशेषज्ञों और किसानों के बीच संवाद में भाषाई दिक्कत आती है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि प्रशिक्षण के दौरान हिंदी भाषा का प्रयोग हो तो और बेहतर नतीजे आ सकते हैं। श्री चतुर्वेदी ने इलाहाबाद में हिंदी भाषा में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का भी निवेदन किया, जिसे संस्थान द्वारा स्वीकार कर लिया गया।
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