NEW DELHI. देश में लोकसभा चुनाव नजदीक हैं. ऐसे में भाजपा से कई पार्टियाँ गठबंधन करके सरकार बनाती है इस गठबंधन का नाम NDA हैं. इसे देखते हुए देश के 26 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर केंद्र से मोदी सरकार को हटाने के लिए आपस में गठंधन किया, जिसका नाम उन्होंने I.N.D.I.A रखा है. इसे लेकर दावा किया जा रहा था कि इस गठबंधन के दम पर मोदी सरकार को देश की सत्ता से हटा दिया जाएगा.
लेकिन दिल्ली राज्यसभा में हुए वोटिंग में NDA ने विपक्षी पार्टियों के गठबंधन को पहली मात दे दी है. उन्होंने 29 वोट की बढ़त से राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल को पास करवा लिया है.
इस बिल को लेकर राज्यसभा में काफी लंबी बहस चली जिसके बाद वोटिंग की गई. इसमें बिल के पक्ष में 131 वोट मिले जबकि इस बिल के विपक्ष में 102 वोट पड़े. बता दें इस बिल के पक्ष में भाजपा की गठबंधन यानी NDA समर्थन कर रही थी. तो वहीं बिल के विपक्ष में आम आदमी पार्टी का समर्थन तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, जनता दल यूनाइटेड, कांग्रेस, भारत राष्ट्रीय समिति (BRS), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और अन्य ने किया था.
क्या है दिल्ली सेवा बिल
- ये बिल ग्रुप-ए के अधिकारीयों की पोस्टिंग, ट्रांसफ़र, अनुशासनात्मक मामलों में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे विवाद के कारण लाया गया है.
- इस बिल में कहा गया है कि NCCSA में मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के प्रधान गृह सचिव शामिल होंगे और ये उपराज्यपाल को अधिकारीयों की पोस्टिंग, ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सिफारिश करेंगे.
- इस बिल में ये भी कहा गया है कि उपराज्यपाल अधिकारीयों के पोस्टिंग, ट्रांसफर और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए की गई सिफारिश पर एकमात्र विवेक का प्रयोग कर सकता है. अर्थात अंतिम फैसला उपराज्यपाल का ही होगा.
- साथ ही उपराज्यपाल को दिल्ली विधानसभा बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की भी ताकत देगा.
- इस बिल के अनुसार जो उपराज्यपाल से सिफारिशें की जाएंगी वो बहुमत के आधार पर होंगी. सचिव सीधे उपराज्यपाल तक अपनी बात रख सकते हैं. लेकिन किसी भी मामले में उपराज्यपाल सिफारिश को मंजूरी या पुनर्विचार करने को कह सकता है. किसी भी मामले में मतभेद पर अंतिम निर्णय उप राज्यपाल का ही होगा.