दुर्ग। बिना सर्टिफिकेट के दवा क्लीनिक चला रहे झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ खाद्य एवं औषधि विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए डॉक्टर का क्लीनिक सील कर दिया है। टीम ने डॉक्टर के खिलाफ नर्सिंग होम एक्ट, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत कार्रवाई की। वह बीते सात साल से मरीजों का गलत इलाज करते हुए उन्हें बचाने की बजाय मौत के मुंह में ढकेल रहा था।
छापे के दौरान उसके क्लीनिक से भारी मात्रा में एक्सपायरी दवा मिली हैं। टीम ने डॉक्टर के क्लीनिक मेडिकल डिवाइस, फिजीशियन सैंपल और भारी मात्रा में सीरिंज जब्त किए हैं। जांच करने पर पता चला कि अमित कुमार पिछले सात सालों से दुकान चला रहा था। उसके गलत इलाज कई लोगों की जान भी जाते-जाते बची है। वह सामान्य रोगों के उपचार के लिए इंजेक्शन लगाता था, जिसके लिए वह पात्र नहीं था।
बताते चलें कि दुर्ग कलेक्टर डॉ. एसएन भुरे को दुर्ग जिले के धमधा व अहिरवारा क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा गलत दवा कर लोगों को और बीमार करने की शिकायत मिल रही थी। इस पर उन्होंने जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन के निरीक्षक ब्रजराज सिंह के नेतृत्व में एक टीम गठित कर छापामार कार्रवाई करने के निर्देश दिए। ब्रजराज सिंह शुक्रवार को खाद्य एवं औषधि प्रशासन की निरीक्षक गायत्री पटेल, आस्था वर्मा, विभोर लाल, मेडेसरा पीएचसी चिकित्सा अधिकारी रविन्द्र वर्मा और अहिवारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा अधिकारी को लेकर छापा मारने की रणनीति तैयार की।
टीम ने धमधा अहिवारा मुख्य मार्ग में संचालित अमित कुमार के क्लीनिक में छापा मारा। इस दौरान जब उससे औषधि अनुज्ञप्ति तथा पंजीकृत चिकित्सक होने के दस्तावेज मांगा गया, तो वह टाल मटोल करने लगा। सख्ती से पूछताछ करने पर पता चला कि अमित कुमार बिना किसी वैध मेडिकल डिग्री के ही क्लीनिक चला रहा था।
इतना ही नहीं, वह बिना किसी ज्ञान के ऐसे मेडिकल उपकरणों का इस्तेमाल भी कर रहा था, जिसका उपयोग एमबीबीएस या एमडी स्तर का डॉक्टर ही कर सकता था। क्लीनिक को नर्सिंग एक्ट के तहत तत्काल बंद कराया गया। जांच के लिए दवाइयों का सैंपल लिया गया है। इसे कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।
(TNS)