RAIPUR NEWS. शराब घोटाले एक बार फिर सुर्खियों में है। दरअसल, झारखंड में शराब घोटाले की साजिश छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रची गई है। इसको पुख्ता करने के लिए छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने झारखंड सरकार को चिट्ठी लिखकर तत्कालीन उत्पाद (आबकारी) सचिव आईएएस विनय चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह से पूछताछ की अनुमति मांगी है। इन दोनों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने घोटाला का केस दर्ज किया है।
आरोप है कि झारखंड में शराब का बड़ा घोटाला हुआ है, जिसकी साजिश रायपुर में रची गई है। इसमें झारखंड के दोनांे अधिकारी शामिल थे। वहां घोटाला करने के लिए सबसे पहले झारखंड शराब नीति को बदला गया। उसके बाद छत्तीसगढ़ के कारोबारी वहां शराब का कारोबार करने लगे। नकली होलोग्राम लगाकर शराब बेचा गया है। इससे राज्य सरकार को बड़ा नुकसान हुआ है।
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EOW के मुताबिक पहले भी सरकार को चिट्ठी लिखकर दोनों अधिकारियों से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी गई थी। इस बार भी चिट्ठी लिखा गया है। सरकार से अनुमति मिलने के बाद दोनांे अधिकारियों से पूछताछ की जाएगी।
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EOW के अनुसार छत्तीसगढ़ में शराब का सिंडिकेट चला रहे रिटायर आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर समेत अन्य ने झारखंड में शराब का कारोबार करने के लिए जनवरी 2022 में आईएएस विनय चौबे समेत अन्य आबकारी अधिकारियों के साथ मिलकर नई शराब नीति बनाई। इसके बाद छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया।
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इसके लिए त्रिपाठी को 1.25 करोड़ का भुगतान किया गया। इन्होंने मिलकर एक सिंडिकेट बनाया। इसमें आईएएस विनय चौबे व गजेंद्र सिंह भी शामिल हुए। दोनों अधिकारियों ने सिंडिकेट को लाभ पहुंचाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए टेंडर निकाला है। इसमें 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाल दी गई। ताकि जिन्हें पहले से ठेका देना तय हुआ है।
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साजिश के तहत प्रिज्म होलोग्राम एंड फिल्म सिक्योरिटी लिमिटेड को शराब की बोतलों में होलोग्राम छापने का ठेका दिया गया। इसी तरह सुमित फैसिलिटीज लिमिटेड को दुकानांे में मैन पावर सप्लाई की जिम्मेदारी दी गई। नई शराब नीति से झारखंड को राजस्व का बड़ा नुकसान हुआ।