DHAKA. बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा के बीच सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के बाद पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के जनरल सेक्रेटरी ओबैदुल कादर ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि हिंसा काबू करने के लिए सेना को तैनात किया गया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार की तरफ से कर्फ्यू की घोषणा तब हुई है, जब शुक्रवार को दिन में पुलिस और सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें कई लोग मारे गए हैं।
बांग्लादेश की एक रिपोर्ट के मुताबिक छात्र प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को नरसिंगडी जिले में एक जेल पर धावा बोल दिया। उन्होंने सैकड़ों कैदियों को जेल से छुड़ाने के बाद वहां पर आग लगा दी। इससे पहले गुरुवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी BTV ऑफिस के कैंपस में घुस आए और 60 से ज्यादा गाड़ियां फूंक दी। उसी दिन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने BTV को इंटरव्यू दिया था।
मिली जानकारी के अनुसार, इस हफ्ते छात्र प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पों में अब तक कम से कम 105 लोग मारे गए हैं। 2,500 से ज्यादा घायल हुए हैं। इंडिपेंडेंट टेलीविजन ने सिर्फ शुक्रवार को 17 लोगों की मौत की जानकारी दी। सोमोय टीवी ने 30 लोगों की मौत का दावा किया। ढाका मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 23 शव देखे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सभी लोगों की मौत शुक्रवार को ही हुई है या नहीं। इससे पहले 18 जुलाई को 22 लोगों की मौत की खबर आई थी।
भारत ने कहा- यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला
वहीं भारत का कहना है कि अशांति बांग्लादेश का आंतरिक मामला है, जहां तक बात है भारतीयों की तो बांग्लादेश में सभी 15,000 भारतीय सुरक्षित हैं। बांग्लादेश में पढ़ रहे भारतीय सड़क मार्ग से लौट रहे हैं।
अब तक 405 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौटे
बांग्लादेश में बढ़ते तनाव के बीच अब तक 405 भारतीय स्टूडेंट्स अपने घर लौट आए हैं। मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने शुक्रवार को बताया कि भारतीय स्टूडेंट्स को डॉकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए बांग्लादेश से निकाला गया है। उनमें से लगभग 80 मेघालय से हैं और बाकी अन्य राज्यों से हैं। नेपाल, भूटान के कुछ छात्रों और पर्यटकों को भी निकाला गया है।