BHILAI. भिलाई की जानी–मानी संस्था स्वयंसिद्धा द्वारा “बेलन चक्की और कलम” साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में महिलाओं का सम्मान किया गया। आयोजन में पहली बार किसी गृहणी को स्वयंसिद्धा सम्मान मिला जिसकी वजह से यह आयोजन और भी खास बन गया।
सोमवार को भिलाई निवास के कॉफी हाउस सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में एक बड़ी सी पत्थर की चक्की थी।पूरा मच हाथ की बनाई कलाकृतियों से सजा हुआ था।
सभा स्थल की दीवारों पर अमृता प्रीतम, ममता कालिया, चित्रा मुद्गल, शिवानी, मदर टेरेसा आदि की तस्वीरें लगाई गई थी। सम्मान समारोह में पांच महिलाओं का सम्मान किया गया। इसमें स्वामिनी का पद सबसे खास और बिल्कुल अलग था।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ अरुणा पल्टा, कुलपति हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग पहुंची। उन्होंने बताया कि, कार्यक्रम में आकर अपनी उत्सुकता और प्रसन्नता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि संस्था के काम देखकर मैं काफी निश्चित प्रसन्न हूं। इसके साथ ही उन्होंने मैं सेवानिवृत्ति के बाद स्वयंसिद्ध समूह में प्रवेश करने की बात कही। जिससे वे उनके साथ मिलकर समाज के लिए काम कर पाए।
कार्यक्रम में अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार डॉ परदेशी राम वर्मा, प्रमुख वक्ता के रूप में सरला शर्मा, संतोष झांझी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुधीर शर्मा उपस्थित रहे। संतोष झांझी ने अपनी लिखी मधुर ग़ज़ल सुनाई। यह सुनकर हाल तालियों से गूंज उठा। सरला शर्मा ने भी अपने उद्बोधन से सबका दिल जीत लिया। उन्होंने कहा कि पुरुषों ने अपने बनाए एग्रीमेंट पर महिलाओं से बिना पूछे साइन करवा लिए। इसमें घर की जिम्मेदारी व बच्चों की देखभाल लिखी थी लेकिन इस कलम को उठाकर अब महिलाएं अपने स्वयं की भावनाओं को लिखना चाहती है तो अब उन्हें कोई रोक नहीं सकता।
डॉ.सुधीर शर्मा ने जिंदगी में मां का महत्व बताया। उन्होंने कहा कि दुनिया में आने के बाद कोई भी बच्चा सबसे पहला शब्द कहता है। दुनिया में मां से बढ़कर रचनाकार और कोई नहीं। डॉ परदेशी राम वर्मा ने भी मौजूद लोगों के बीच ज्ञान से भरी बातें सांझा की। कार्यक्रम की आयोजक व स्वयंसिद्धा की निदेशक अध्यक्ष डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने बताया कि कैसे यह संस्था पिछले 10 सालों से महिलाओं को संगीत साहित्य संस्कृति से जोड़ने का प्रयास कर रही है। इनके द्वारा निरंतर ऑनलाइन ऑफलाइन व्यक्तित्व विकास ट्रेनिंग भी कराई जा रही है। इसके द्वारा महिलाओं को अपने मनोभावों को लिखने के लिए प्रेरित किया जाता हैं।
इन्हें मिला सम्मान
– गृह स्वामिनी के रूप में यमुनोत्री वर्मा
– शिक्षा के क्षेत्र से पुष्पा पुरुषोत्तमन
– काउंसलिंग व शिक्षा के क्षेत्र से डॉ. मिट्ठू
– चिकित्सा के क्षेत्र से डॉ. मीता दे
– पत्रकारिता के क्षेत्र से छत्तीसगढ़ आसपास की प्रधान संपादक शेफाली भट्टाचार्य
इसके अलावा कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार टीकम सिंह पिपरिया, गीतकार मयंक चतुर्वेदी, वरिष्ठ हास्य कवि गजराज दास महंत, रायपुर की वरिष्ठ रचनाकार नीलिमा मिश्रा भी मौजूद रहे जिससे कार्यक्रम में चार चांद लग गए। वही इनकी रचनाएं भी सुनी गई और उन्हें सम्मानित किया गया। अतिथि गणों द्वारा स्वयंसिद्धा की सदस्य एवं छत्तीसगढ़ की रचनाकार शीलू लूनिया की किताब “गर्भ के संस्कार फलीभूत होते हैं” का विमोचन भी किया गया।