ATUL MALAVIYA. क्या है राष्ट्र (Nation) और देश (Country) की थ्योरी और क्यों डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि मुसलमान इस्लाम के नाम पर राष्ट्र के सिद्धांत को खारिज़ कर देगा। Come on, dare to kill me की सिंह दहाड़ से Please don’t kill me की दया की गुहार लगाते इज़रायली युवा… ज़माना कितना बदला और इससे इज़रायल के अस्तित्व को किस तरह खतरा है?
हमास के हमले के बाद गाज़ा पट्टी ही नहीं बल्कि इज़रायली इलाकों से बड़ी विचलित करने वाली खबरें आ रही हैं। एक 25 वर्षीया इज़रायली विद्यार्थी नोआ अर्गमानी का वीडियो है जिसमें वह हमासी आतंकवादियों से दया की भीख मांगते हुए गुहार लगा रही है “Please don’t kill me”. हालांकि नोआ को पता है कि वह कितना भी प्लीज़ प्लीज़ करले, हमासी दरिंदे उस पर रहम नहीं करने वाले।
अब दृश्य को पलटते हुए आज से साढ़े पांच दशक से भी अधिक पहले चलते हैं जब येरूशलम पर कब्जा करने के लिए दुनिया भर से आए यहूदी युवक युवतियां तेल अबीब से येरूशलम जाने वाली उस पहाड़ी पर एक के बाद एक हंसते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर रहे थे जो दोनों तरफ से लाखों अरब लड़ाकाओं की बंदूकों के निशाने पर थी। सैकड़ों बसों में भरे ये यहूदी युवा जब एक बस क्षतिग्रस्त हो जाती या ड्राइवर मारा जाता तो उसे जिंदा या मुर्दा अपने ही साथियों के साथ पहाड़ी से खाई में धकेल देते ताकि पीछे आने वाली बसें येरूशलम की तरफ बढ़ सकें। येरूशलम पर यहूदी कब्जे का ये लोमहर्षक ब्यौरा उस संघर्ष की दास्तान है जो आज भी गोलान पहाड़ियों के दोनों तरह सैकड़ों बसों और यहूदियों के कंकालों और अंजर पंजरों से पटी पड़ी है।
एक और दृश्य : म्यूनिख ओलंपिक सन 1972. फिलिस्तीनी आतंकवादियों ने जब इज़रायल की पूरी टीम के निहत्थे सदस्यों के ऊपर हमला किया तो उनका मुक्केबाजी कोच डरा नहीं, उसने दया की भीख नहीं मांगी, वह जिस छोटे से चाकू से सेब काट रहा था उसी को लेकर मशीनगनें लिए आतंकवादियों पर वज्र के समान प्रहार करता हुआ टूट पड़ा और तीन को अकेले ही मौत के घाट उतार दिया।
आज इज़रायल की तेज़ आर्थिक प्रगति और संपन्नता के युग में वैभव और विलासिता में नोआ अर्गमानी की तरह पला बढ़ा यहूदी युवा अगर हमास Please don’t kill me की गुहार लगा रहा है तो समझ लीजिए इज़रायल का अस्तित्व ही खतरे में है।
इज़रायल एक राष्ट्र (Nation) है जहां पूरी दुनिया से आए यहूदियों ने अपनी उस कौम को बचाने का प्रण लेते हुए सर्वस्व अर्पण किया जो पिछले दो हज़ार सालों से पृथ्वी के कोने कोने में भागकर, कभी ईसाइयों द्वारा तो कभी हिटलर द्वारा साठ लाख भाई बहिनों के जेनोसाइड का दर्द झेलते हुए संघर्ष कर रहे हैं। अब यही संघर्ष उनके जीवन का ऐसा अंग बन चुका है कि उसके बिना पूरी कौम का जड़ से सफाया हो जाएगा।
जहां एक तरफ यहूदियों का राष्ट्र है तो दूसरी ओर मुस्लिम देश हैं जो वे जहां रहते हैं उसे मात्र ज़मीन का टुकड़ा एक देश (country) मानते हुए इस्लाम को सर्वोपरि मानते हैं। भारत के विभाजन को न्यायसंगत मानते हुए बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर ने कहा था, मुसलमान राष्ट्र के सिद्धांत को नहीं मानता। यदि भारत का बंटवारा नहीं हुआ और अच्छी खासी संख्या में वे यहां रह गए तो कुछ समय बाद ईरान या अफगानिस्तान से भारत पर आक्रमण करवाकर वे पूरे देश को दारुल हरब से दारुल इस्लाम बनाने का प्रयास करेंगे। उन्हें राष्ट्र नहीं ऐसा देश चाहिए जहां शरिया का शासन चलता हो।
इसीलिए, इज़रायल की ये कहानी सिर्फ उसकी नहीं हमारी भी है। यदि इज़रायल कालांतर में कमज़ोर होता है तो उसका पतन होना अवश्यंभावी है। ये पतन न सिर्फ येरूशलम पर उस मुफ्ती का हरा झंडा फहराएगा जिसके लिए आयरन लेडी गोल्डा मायर ने प्रण लिया था कि जब तक यहूदी का एक बच्चा भी जिंदा होगा, उसकी रगों में खून की आखिरी बूंद तक वो येरूशलम पर हरा झंडा नहीं फहराने देगा।
अगर यहूदी कौम खत्म हो गई तो विश्वास जानिए, अगला नंबर हिंदू कौम का होगा। इस्लाम के बर्बर तरीके से प्रसार के लिए हिंदू से ज्यादा कमज़ोर कड़ी कोई दूसरी नहीं। यहूदी तो फिर भी संघर्ष कर अपने को यहां तक खींच लाए, हिंदू में तो वह क्षमता भी नहीं है। पचास साल से ज्यादा नहीं लगेंगे जब 100 करोड़ हिंदू जनसंख्या इस्लाम में जुड़ जाएगी और हमारी आने वाली पीढ़ियां कलमा पढ़ रही होंगीं।
इसलिए भाईयो और बहिनों, जाग जाओ, इज़रायल से सबक लो, इज़रायल का सपोर्ट करो। हमास का ये हमला इज़रायल पर नहीं बल्कि उनकी पूरी दुनिया को क्रूरतम तरीके से इस्लाम में कन्वर्ट कराने की ज़िद का द्योतक है। यदि नहीं तो आज जो 25 वर्षीया नोआ अर्गमानी गुहार लगा रही है, उसकी जगह अपनी बेटी, बहू या पोती की कल्पना कर लीजिए जो आंखों में आंसू भरे हाथ जोड़ रही होगी “Please don’t kill me” और सामने अट्टहास करते दरिंदे पहले तो भूखे भेड़ियों की तरह उसके बदन नोचेंगे फिर अपनी हवस पूरी हो जाने पर तड़तड़ गोलियों से बींध देंगे।
(यह लेखक के निजी विचार हैं)