RAIPUR. छत्तीसगढ़ का मीडिया गुरुकुल कहा जाने वाला कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर हमेशा से विवादों में रहा है. एक बार फिर ये यूनिवर्सिटी विवादों में आ गया है, यहां के दो कार्यपरिषद सदस्य आवेश तिवारी और राजकुमार सोनी ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया है कि यहां चुपके-चुपके आरएसएस का एजेंडा चलाया जा रहा है.
इस विश्वविद्यालय में विवाद कोई नयी बात नहीं है, यहां के कुलसचिव आनंद शंकर बहादुर को हाल ही में इन्हीं विवादों की वजह से बदला गया, तो वहीं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. शहीद अली को भी बर्खाश्त कर दिया गया है. लेकिन इस बार विश्वविद्यालय अपने द्वारा किए जा रहे आयोजित कार्यक्रम पत्रकारिता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए विवादों में आ गया है.
मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इसी को लेकर 11 अगस्त 2023 को पत्रकारिता विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी रखी गई है. इस संगोष्ठी में पत्रकारिता क्षेत्र के जानें-माने बड़े हस्तियों को बुलाया जा रहा है. इस संगोठी को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब विश्वविद्यालय के कार्यपरिषद के सदस्य आवेश तिवारी और राजकुमार सोनी ने विश्वविद्यालय पर आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित की जा रही राष्ट्रीय संगोष्ठी के बारे में उन्हें अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है. विश्वविद्यालय द्वारा आरएसएस का एजेंडा चलाकर पढ़ने वाले पत्रकारिता के विद्यार्थियों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है.
कुलपति और कुलसचिव पर उठाए सवाल
कार्यपरिषद के सदस्य आवेश तिवारी और राजकुमार सोनी ने विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा, कुलसचिव चन्द्रशेकर ओझा और कार्यक्रम संयोजक नरेंद्र त्रिपाठी से सवाल करते हुए कहा है कि ठीक है हमारी जानकारी के बिना पत्रकारिता के विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित कर भी ली गई है, तो क्या विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को ये बताया जाएगा कि मोदी सरकार द्वारा कैसे पत्रकारों को दबाया जा रहा है. लोकतंत्र की लगातार की जा रही हत्या के लिए देश का गोदी मीडिया भी जिम्मेदार है, आगे उन्होंने कहा कि मणिपुर सहित देश का अन्य हिस्सा नफरत करने वालों की करतूतों से जल रहा है तब आज़ादी का अमृत महोत्सव कैसे मनाया जा रहा है ? ये बात संगोष्ठी में वक्ताओं द्वारा छात्रों को बताई जानी चाहिए.
फासीवादी विचारधारा की निंदा
कार्यपरिषद सदस्यों ने संगोष्ठी में आने वाले आमंत्रित अतिथियों से सवाल किया है कि देश को नफ़रत की आग में झोंकने वाली फ़ासीवादी शक्तियों के खिलाफ उनका पक्ष क्या है, आमंत्रित अतिथि फ़ासीवादी शक्तियों का विरोध करेंगे या विश्वविद्यालय परिसर में सूक्ष्म और महीन तरीके से फ़ासीवादी विचारों का रोपण किया जाएगा, ये स्पष्ट होना चाहिए.
कार्यक्रम में आने वाले अतिथियों पर किया कटाक्ष
कार्यपरिषद के सदस्यों ने कहा कि 11 अगस्त को आयोजित होने वाली संगोष्ठी में माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलसचिव अविनाश बाजपेयी को बुलाया गया है उनके खिलाफ पंजाब के एक प्रोफ़ेसर आशुतोष मिश्रा की शिकायत के बाद कई स्तरों पर जांच की जा रही है. अविनाश बाजपेयी के खिलाफ यह शिकायत उनकी शिक्षा-दीक्षा और पीएचडी में फर्जीवाड़े को लेकर है. एक वक्ता मानस प्रतिम गोस्वामी तमिलनाडु से है. गोस्वामी का अकादमिक ज्ञान व्यवहारिक तरीके से छात्र आत्मसात करेंगे इसमें काफी संदेह है.