RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में लगातार सीबीआई की कार्रवाई चल रही है। CGPSC घोटाले के बाद अब चर्चित शराब घोटाले में सीबीआई की टीम ने दबिश दी है। जानकारी के अनुसार रायपुर में रिटायर्ड IAS अनिल टूटेजा के घर CBI ने छापा मारा है। 2000 करोड़ के शराब घोटाले मामले में CBI दस्तावेजों की जांच पड़ताल कर रही है। फिलहाल, कार्रवाई की पुष्टि नहीं हो पाई है।
बता दें कि अनिल टुटेजा छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपियों में से एक हैं। ईडी के अनुसार, भूपेश बघेल सरकार के समय सरकारी शराब के नाम पर 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाले किया गया है। इस मामले में अनिल टुटेजा के अलावा आबकारी विभाग के एमडी अरुणपति त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
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दरअसल, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को जमानत दी है। पासपोर्ट जमा कराने समेत कुछ शर्तें भी रखी गई थी। मंगलवार को जमानत आवेदन पर सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बैंच में हुई। हालांकि, अनिल टुटेजा को ED के केस में राहत मिली है, लेकिन शराब घोटाले मामले में EOW की जांच कर रही है।
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इस केस में टूटेजा जेल में बंद हैं, ऐसे में वे जमानत के बाद भी जेल से बाहर नहीं आ पाए। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2 अप्रैल 2025 को विशेष अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया था जिसमें टुटेजा के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हाई कोर्ट ने कहा था कि आरोप तय करने से पहले सरकार से अनुमति (CrPC की धारा 197 के तहत) नहीं ली गई थी। धारा 197 के अनुसार, यदि कोई सरकारी अफसर अपने कार्य के दौरान किसी अपराध का आरोपी है, तो कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना जरूरी होता है।
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ED की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि, अनिल टुटेजा एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने कोर्ट में टुटेजा पर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और कहा कि वे गवाहों को प्रभावित करने और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए सक्षम हैं।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में ED जांच कर रही है। ED ने ACB में FIR दर्ज कराई है। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है। ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी AP त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
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