BIJAPUR NEWS. छत्तीसगढ़ में पत्रकार की हत्या से एक बार फिर कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के मामले में पुलिस ने अपनी जांच तेज कर दी है। पुलिस ने कांग्रेस नेता और ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के दो भाई रितेश चंद्राकर और दिनेश चंद्राकर सहित एक मजदूर को गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों से पुलिस पूछताछ कर रही है। वहीं, ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को पकड़ने आज यानी 4 दिसंबर को हैदराबाद के लिए पुलिस की टीम रवाना हुई है।
वहीं, इस घटना के विरोध में बीजापुर जिला मुख्यालय पूरी तरह से बंद है। पूरे संभाग से पत्रकार बीजापुर पहुंचे हैं। मुख्य मार्ग में चक्का जाम कर आरोपितों की गिरफ्तारी और कड़ी कारवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस मामले में मुख्य आरोपी रितेश चंद्राकर ने ही हत्या की है। हत्या के बाद साक्ष्य छुपाने के लिए सेप्टिक टैंक में शव को फेंककर ऊपर से कांक्रीट की ढलाई कर दी गई थी।
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बस्तर संभाग के पत्रकारों ने आज शनिवार को पत्रकार मुकेश चंद्राकर को अंतिम विदाई दी। इस दौरान सभी की आंखें नम रही। सभी इस हत्याकांड को लेकर बेहद आक्रोशित दिखे। स्थानीय पत्रकारों ने राज्य शासन से इस मामले में आरोपियों को फांसी देने और उनके चल-अचल संपत्ति को नेस्तानाबूद करने की मांग की है। वहीं, बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर के घर पहुंचकर वन मंत्री केदार कश्यप व बस्तर सांसद महेश कश्यप ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मंत्री के सामने पत्रकारों ने मुकेश की हत्या के बाद सात सूत्रीय मांग भी रखी। साथ ही चेतावनी दी कि अगर इन मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो पांच जनवरी से हड़ताल शुरू होगी।
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इससे पहले सीएम विष्णुदेव साय कई नेताओं ने दुख जताया है। बता दें कि बीजापुर पुलिस ने रितेश चंद्राकर को गिरफ्तार करने के साथ उसकी गाड़ी को भी रायपुर से जब्त किया है। रितेश ने फरार होने के लिए थार गाड़ी की नंबर प्लेट बदल ली थी। गाड़ी में सीजी-20- 3333 की जगह सीजी 04 पीके 1 नंबर प्लेट लगा दी थी। ऐसा कर वो पुलिस को गुमराह करना चाह रहा था।
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आशंका जताई जा रही है कि मुकेश की निर्ममता से हत्या करने के लिए उसके सर पर कुल्हाड़ी या धारदार हथियार से वार किया गया था। नक्सली भी इसी तरीके से हत्या करते हैं। संभवतः हत्या के बाद किसी जंगल में शव फेंक कर नक्सली घटना बताने का प्रयास था, लेकिन भीड़भाड़ वाला क्षेत्र होने से शव निकाल नहीं पाए। इसलिए सेप्टिक टैंक में शव डाल कर ढलाई कर दी गई।
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