अभय तिवारी
BALODA BAZAR. वैश्विक भुखमरी सूचकांक (Global hunger index) में 125 में से 111 रैंक में आने के बाद भी देश की व्यवस्था को शर्मिंदगी महसूस नहीं हो रही है। इसका एक नमूना बलौदा बाजार में दिखाई दे रहा है। समर्थन मूल्य पर धान ख़रीदी की अंतिम तिथि के तीन महीने बाद भी खरीद केन्द्रों से धान का उठाव नहीं हो पाया है।
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाज़ार जिले के ज़िला सहकारी बैंक की लवन शाखा के अन्तर्गत 15 उपार्जन केन्द्र आते हैं। इनमें 59 हज़ार क्विंटल धान अभी तक शासन ने उठाया नहीं है। धान का परिवहन ना होने के कारण प्रबंधक को चिंता सताने लगी है और बचे हुए धान की रखवाली करना समिति प्रबंधकों के लिए चुनौती बन गया है।
प्लास्टिक के बारदाने भी सड़कर हो रहे ख़राब
धान ख़रीदी की अंतिम तिथि के बाद प्रबंधक समिति ने धान की बोरियों को प्लास्टिक के बारदाने से ढकवा दिया था। लेकिन तीन महीने बीतते-बीतते प्लास्टिक के बारदाने भी धूप-पानी के कारण सड़ने लगे हैं। इससे धन के भी सड़ने की आशंका पैदा हो गई है।
चूहे कर रहे धान का नुक़सान
प्रबंधक समिति द्वारा बताया गया की चूहों द्वारा धान को लगातार नुक़सान पहुँचाया जा रहा है। धान की बोरियों में चूहों द्वारा छेद कर देने से धान ज़मीन पर फैल रहा है।
15 उपार्जन केंद्रों में कितना धान जाम
लवन शाखा अन्तर्गत 15 उपार्जन केन्द्र आते है। इसमें तिल्दा में 10 हज़ार क्विंटल, बरदा में 2100 क्विंटल, खैरा 8718 क्विंटल, कोहरौद में 5648 क्विंटल, धराशिव में 5123 क्विंटल, सीरियडीह और
मरदा में 2490 क्विंटल, कोयदा में 4456 क्विंटल, सरखोर में 2744 क्विंटल, अहिल्दा में 4000 क्विंटल, भालुकोना में 10,000 क्विंटल मुंडा में 5000 क्विंटल, लवण में 955 क्विंटल धान रखा है। यानी कुल 58 हज़ार 800 क्विंटल धान का परिवहन ना होने के कारण जाम है।
क्या कहते है शाखा प्रबंधक
ज़िला सहकारी बैंक शाखा लवन के प्रबंधक शिव कुमार साहू ने कहा है कि धान का उठाव नहीं हो पाने से समितियों में क़र्ज़ वितरण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। इससे किसान परेशान हो रहे हैं। शासन-प्रशासन से निवेदन है की जल्द से जल्द धान का उठाव करवायें। ताकि सभी समितियों में कर्ज़ वितरण का कार्य आरंभ हो सके। “
न्यूज़ विद नॉलेज
इस खबर को पढ़ते हुए यह दिमाग़ में ज़रूर रखिए कि भारत में आज भी 5 वर्ष से कम आयु में जान गंवाने वाले बच्चों में 69% की मृत्यु कुपोषण के कारण होती है। 80 करोड़ लोगों को मुफ़्त में 5 किलो राशन देने वाली सरकार को इस ओर जल्द ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि बड़ी मात्रा में खाद्यान को खराब होने से बचाया जा सके।