टीकम पिपरिया
BALOD. भारतीय जनता पार्टी लगातार नये-नये प्रयोग कर रही है। बीते विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सांसदों को विधानसभा में उतारा था यह भी एक प्रयोग था। वही तीन राज्यों में मुख्यमंत्री के रूप में एकदम नए चेहरे को सामने लाने को भी राजनीति से जुड़े लोग एक प्रयोग ही मान रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में स्वाभाविक जिज्ञासा उठने लगे हैं कि क्या कांग्रेस भी आगामी लोकसभा चुनाव में कोई नया प्रयोग कर सकती है। यदि ऐसा होता है तो कांकेर लोकसभा क्षेत्र के लिए बालोद जिले को टिकट देकर यह प्रयोग किया जा सकता है। कांकेर लोकसभा का इतिहास बताता है कि इस प्रयोग से कांकेर में कांग्रेस को लाभ हो सकता है। विधानसभा चुनाव अभी-अभी निपटा है।कार्यकर्ता जो विधानसभा चुनाव में जी जान से जुटे थे वे भले ही लोकसभा चुनाव को कुछ दिन शेष मानकर आराम कर रहे होंगे, लेकिन राजनीतिक दल इस बारे में आगे कदम बढ़ा चुके हैं। भाजपा में इन दिनों जो चल रहा है इसे देखकर तो यही लगता है कि पार्टी ने विधानसभा चुनाव के साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि भाजपा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण से लेकर सरकार बनने और मुख्यमंत्री चुनने तक लगातार प्रयोग कर रही है। जिसे लेकर न केवल भाजपा के बल्कि कांग्रेस के कार्यकर्ता भी मानते हैं कि इस प्रयोग में भाजपा सफल हुई है। आम मतदाता भी यह बात समझने लगे हैं कि यह सारा प्रयोग 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया जा रहा है। भाजपा के सफल प्रयोग को देखकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मन में भी यह जिज्ञासा उठने लगी है कि क्या कांग्रेस को भी इस तरह प्रयोग करना चाहिए, कार्यकर्ताओं के मन में यह सवाल उठने लगे हैं, कि क्या कांग्रेस भी ऐसा कोई प्रयोग कर सकती है। बालोद जिले के कार्यकर्ता कांकेर लोकसभा क्षेत्र में इस तरह के प्रयोग को लेकर बहुत आश्वस्त हैं। 1967 से लेकर अब तक के कांकेर लोकसभा के इतिहास को देखते हुए छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं से आवाज उठने लगी है कि कांग्रेस द्वारा कांकेर के लिए इस बार बालोद जिले से टिकट देकर एक नया प्रयोग किया जा सकता है। कार्यकर्ता उत्साह के साथ बताते हैं कि यदि ऐसा हुआ तो यह सीट कांग्रेस को मिल सकती है।
खोने को कुछ नहीं पाने को है एक मौका
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांग्रेस पिछले 26 सालों से लगातार यह सीट हार रही है। वहीं इस बार कांग्रेस की सरकार भी छत्तीसगढ़ में नहीं है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन यदि नया प्रयोग करती है और बालोद जिले के कार्यकर्ताओं को कांकेर लोकसभा सीट जिताने की जिम्मेदारी दी जाती है तो यह सीट पाने का एक मौका जरूर होगा। यही वजह है कि राजनीतिकारों का भी मानना है कि कांग्रेस को यह प्रयोग करना चाहिए।
विधानसभा जीतने से उत्साहित हैं कार्यकर्ता
कांकेर लोकसभा सीट के लिए बालोद जिले को कांग्रेस की टिकट मिले इस उम्मीद में भले ही बड़े कार्यकर्ता हो ना हो लेकिन छोटे-छोटे कार्यकर्ता बहुत उत्साहित हैं, पार्टी का झंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि अभी-अभी हमने काफी मतों के अंतर से विधानसभा सीट जीती है, यदि लोकसभा की टिकट भी जिले को मिल जाती है तो दुगुने उत्साह के साथ कार्यकर्ता काम करेंगे, जिसका सार्थक परिणाम मिल सकता है। ज्ञात हो कि बालोद जिले की तीनों विधानसभा सीट न केवल इस बार कांग्रेस की झोली में गई है बल्कि इससे पहले दो विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने तीनों विधानसभा जीती है।
नए-नए प्रयोग से कार्यकर्ता रहते हैं चार्ज
माना जाता है कि राजनीति में कार्यकर्ताओं को चार्ज करने के लिए नया-नया प्रयोग करना चाहिए। इस बात को भाजपा भली भांति जानती है। यही वजह है कि वह लगातार प्रयोग करती रहती है। वर्तमान विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों विधानसभा सीट में पिछले बार के प्रत्याशियों को टिकट नहीं दी। भले ही भाजपा तीनों सीट हार गई लेकिन कार्यकर्ता जरूर चार्ज हुए हैं।
यह बात भाजपा को मिले मत से लगाया जा सकता है जो पिछली बार की तुलना में ज्यादा रहे। भाजपा का मानना है कि विधानसभा चुनाव में जो कार्यकर्ता चार्ज हुए हैं वे दुगुने उत्साह के साथ लोकसभा में काम करेंगे, जबकि कांग्रेस ने इस तरह का कोई प्रयोग नहीं किया और पिछले विधायकों को ही टिकट दी। हालांकि कांग्रेस जीती। इस बारे में राजनीति से जुड़े लोगों का मानना है कि जो प्रयोग भाजपा की तुलना में विधानसभा में कांग्रेस ने नहीं किया उसे लोकसभा में वह कर सकती है।