कोलंबो। श्रीलंका में गहराते आर्थिक संकट के चलते हालात बेहद खराब हो गए हैं। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात गजट नोटिफिकेशन जारी कर एक अप्रैल से देश में आपातकाल की स्थिति लागू कर दी है। इतना ही नहीं, सरकार ने शनिवार को शाम 6 बजे से अप्रैल की सुबह 6 बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लागू कर दिया है।
सरकार ने हंगामे से बचने के लिए देश में राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाया है, इसके बावजूद भी प्रदर्शनों पर अंकुश नहीं लग रहा है। रविवार को देशव्यापी कर्फ्यू का उल्लंघन करने की कोशिश के लिए श्रीलंका के पश्चिमी प्रांत में 600 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उधर, विपक्षी नेताओं ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग की निंदा की है।
श्रीलंका में मुख्य विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया के सांसदों ने रविवार को डिपेंडेंस स्क्वायर की ओर मार्च करते हुए नारे लगाए। मार्च का नेतृत्व कर रहे साजिथ प्रेमदासा ने कहा कि हम जनता को विरोध के अधिकार से वंचित करने के लिए सार्वजनिक सुरक्षा अध्यादेश के दुरुपयोग का विरोध कर रहे हैं। पश्चिमी प्रांत में रविवार को कुल 664 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक संघीय सांसद ने कहा कि पुलिस ने रविवार को मध्य श्रीलंका में प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों छात्रों पर आंसू गैस के गोले छोड़े।
बिगड़ती स्थिति को काबू में करने के लिए सरकार ने रविवार को अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। वहीं, विपक्षी सांसद हर्ष डी सिल्वा का कहना है कि श्रीलंका में लोकतंत्र की हर कीमत पर रक्षा की जाएगी। मालूम हो कि आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में ईंधन की किल्लत से घंटों बिजली कटौती होती है।
लोगों को भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। भारत ने श्रीलंका को 40 हजार टन डीजल मुहैया कराया है। इतना ही नहीं, भारतीय उच्चायोग ने श्रीलंका में सेना भेजने की खबरों को निराधार बताते हुए खंडन जारी किया है।