नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने निजी शिक्षण संस्थाओं के शिक्षकों के पक्ष में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन अपनी खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर शिक्षकों/कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन व भत्ता देने से इनकार नहीं कर सकता है।
यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि निजी स्कूल प्रबंधन अपनी खराब आर्थिक स्थिति की दलील न दे। ऐसा कर शिक्षकों व कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के तहत मिलने वाले वेतन और भत्ते को देने से इनकार नहीं कर सकते।
निजी स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वे खराब आर्थिक स्थिति के कारण शिक्षकों व कर्मचारियों को वेतन-भत्ता देने में असमर्थ हैं, लेकिन कोर्ट ने निजी स्कूल प्रबंधन की सभी दलीलों को ठुकराते हुए शिक्षकों व कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाया है।
निजी स्कूल के शिक्षकों व कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के तहत भत्ता न देने के मामले में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने शिक्षकों के हक में फैसला देते हुए निजी स्कूल के उन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन-भत्ता देने में असमर्थता जताई थी। जस्टिस वी. कामेश्वर राव ने एल्कॉन पब्लिक स्कूल को शिक्षकों को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन-भत्ता देने का आदेश दिया है।
उन्होंने इसके लिए स्कूल प्रबंधन को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत शिक्षकों के वेतन निर्धारण का भी आदेश दिया है। इसके अलावा तीन माह के भीतर इसके तहत अब तक का बकाया का भुगतान करने को कहा है। न्यायालय ने स्कूल प्रबंधन को आदेश दिया है यदि तीन माह के भीतर एरियर का भुगतान नहीं करते हैं तो इस पर छह फीसदी ब्याज देना होगा। उच्च न्यायालय ने ओमिता मग्गू और अन्य शिक्षकों की ओर से अधिवक्ता अशोक अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका पर यह फैसला दिया है।
उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान एल्कॉन पब्लिक स्कूल प्रबंधन पर शिक्षकों के बड़े पैमाने पर वेतन काटने के साथ-साथ 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन व भत्ता नहीं देने का आरोप लगाया था। उच्च न्यायालय ने स्कूल प्रबंधन को कोरोना महामारी के दौरान शिक्षकों के वेतन में की गई कटौती के पैसे को भी वापस करने का आदेश दिया है।
इसके लिए स्कूल प्रबंधन को तीन माह का वक्त दिया है। साथ ही कहा कि तीन माह के भीतर महामारी के दौरान काटे गए वेतन का पैसा वापस नहीं किए जाने पर इस रकम पर 6 फीसदी ब्याज भी देना होगा।
कोर्ट ने एल्कॉन पब्लिक स्कूल के प्रबंधन को महामारी के दौरान शिक्षकों के वेतन में की गई कटौती के पैसे को भी वापस करने का आदेश दिया है। बता दें कि इस भुगतान के लिए भी स्कूल प्रबंधन को तीन महीने का समय दिया गया है और समय पर भुगतान नाकरने पर स्कूल प्रबंधन को इस पर भी छह प्रतिशत ब्याज देना पड़ेगा।
एल्कॉन पब्लिक स्कूल के शिक्षक ओमिता मग्गू और अन्य शिक्षकों के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल की ओर से इस मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। उन्होंने एल्कॉन पब्लिक स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर 7वें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत शिक्षकों के वेतन और भत्ते नहीं दिए गए हैं।
(TNS)