रायपुर। राजधानी रायपुर की युवा सितार नवाज़ निवेदिता शंकर (Nivedita Shankar) ने अपने बेहतरीन सितार वादन (Sitar Playing) के द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। निवेदिता ने पंडित गुणवंत माधव व्यास स्मृति संस्थान (Pandit Gunwant Madhav Vyas Smriti Sansthan) के अंतर्गत गुनरस पिया फाउंडेशन (Gunras Piya Foundation) की 73वीं रविवासरीय संगीत सभा में अपनी प्रस्तुति दी। बता दें कि पंडित व्यास के पुत्र दीपक व्यास द्वारा स्थापित गुनरस पिया फाउंडेशन पिछले 10 वर्षों से छत्तीसगढ़ में शास्त्रीय संगीत के प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है, और अनेक कलाकारों को मंच प्रदान कर चुका है।
सितार एक अत्यंत कठिन वाद्य यंत्र है और निवेदिता छत्तीसगढ़ की अकेली महिला सितार वादक हैं, जिन्हें इसमें एक राष्ट्रीय पहचान और स्वीकृति प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय ख्याति के सितार वादक पंडित नीलाद्रि कुमार तथा पंडित सुधाकर राव शिवलिकर की योग्य शिष्या हैं और पूर्व में पंडित अशीम चौधुरी तथा मैहर घराने के पंडित अदीप घोष से प्रशिक्षण ले चुकी हैं।
अपने वादन के अंतर्गत निवेदिता शंकर ने विस्तृत प्रस्तुति के लिए राग तोड़ी का चयन किया था। तोड़ी एक सम्पूर्ण जाति प्रातःकालीन का राग है, और भक्ति से लेकर श्रृंगार तक भावों के एक विस्तृत रेंज को अभिव्यक्त कर सकने की क्षमता के चलते कलाकार और श्रोता दोनों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।
कर्नाटक संगीत का राग देशभर में लोकप्रिय
अपने वादन में निवेदिता ने सितार वादन के सभी पारंपरिक आयामों- सुन्दर लयकारियों से बना आलाप-जोड़, बोल-बांट, बढ़त, मींड़, गमक, क्रंतन, जमजमा, खट्का, झाला आदि को संतुलित ढंग से प्रस्तुत किया। वादन के अंत में निवेदिता शंकर ने राग हंसध्वनि में एकताल की एक द्रुत रचना पेश कर प्रस्तुति को और प्रवाहमय बना दिया। राग हंसध्वनि मूलतः कर्नाटक संगीत का राग है, लेकिन यह उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी अत्यंत लोकप्रिय है।