BILASPUR NEWS. शहर के पुलिसक्वार्टर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां जशपुर की दो नाबालिग बच्चियों को पढ़ाई का झांसा देकर लाया गया और 6 महीने तक बंधक बनाकर घरेलू काम कराने का आरोप लगा है। बच्चियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें झाड़ू-पोछा, बर्तन साफ करने जैसे काम जबरदस्ती कराए गए, और विरोध करने पर पीटा भी गया।
बता दें, जशपुर की रहने वाली दो नाबालिग बच्चियां किसी तरह बचकर रविवार की रात को तोरवा थाना पहुँची और आप बीती सुनाई। इसके बाद मामला सार्वजनिक हुआ। पीड़िताओं का कहना है कि उन्हें घर के नाम पर बिलासपुर लाया गया और फिर पुलिस क्वार्टर में 6 महीने तक बंद रखा गया। इस दौरान न उन्हें स्कूल जाने दिया गया और न ही घरवालों से संपर्क करने दिया गया। बच्चियों ने बताया कि अरुण लकड़ा व सुधीर कुजूर रिश्ते में दूर के मामा है। बच्चीयों को पढ़ाई करने के लिए ले कर आये थे। उनसे हर दिन सुबह से देर रात तक घरेलू काम कराया जाता था।
अगर गलती से कोई काम ठीक से न हो या वो थककर बैठ जातीं, तो पुलिसकर्मी या उनके परिवार के सदस्य उन्हें बुरी तरह पीटते थे। यहां तक कि खाने के लिए भी उन्हें तरसाया जाता था। मामला सामने आने के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि बच्चियों को एक पुलिसकर्मी की पत्नी अपने साथ लेकर आई थी और उन्हें पढ़ाई का सपना दिखाकर घरेलू काम में झोंक दिया गया। दोनों बच्चियां मूलतः जशपुर जिले की रहने वाली हैं और उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल नहीं भेजा गया, बल्कि दिनभर काम कराया गया।
परिवार की शिकायत और मामले के उजागर होने के बाद बाल कल्याण समिति (CWC) और पुलिस विभाग ने जांच शुरू कर दी है। बच्चियों को फिलहाल सुरक्षा में रखा गया है और उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली और मानवाधिकारों को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है और दोषी पुलिसकर्मी व उनके परिवार पर कड़ी कार्रवाई की अपील की है। पुलिस अधीक्षक द्वारा इस पूरे प्रकरण की विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो संबंधित कर्मचारियों पर सख्त कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।