BILASPUR. आत्मानंद स्कूलों को लेकर हाई कोर्ट में लगाई गई जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। हाई कोर्ट ने स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने में राज्य सरकार के द्वारा खर्च की गई रकम के बारे में बात कही। हाई कोर्ट का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को बंद करने का आदेश आदेश सही नहीं है। इस वजह से अब सरकार हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए पूर्व में संचालित स्कूलों में ही बेहतर शिक्षा की व्यवस्था करेगी। सरकार यदि चाहे तो स्कूल को दो पालियों में संचालित कराया जा सकता है।
दरअसल, जशपुर में रहने वाले डॉ. रवींद्र कुमार वर्मा ने हाई कोर्ट में तीन जनहित याचिकाएं लगाई थीं। इसमें सालों से संचालित हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद कर उनकी जगह स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने, शैक्षणिक सत्र 2022-23 में जिन हिंदी माध्यम स्कूलों को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम में तब्दील किया जाना है, उनका मूल स्वरूप संरक्षित करने और कक्षा पहलीं से 5वीं तक की किताबों में अंकों के उपयोग में देवनागरी लिपि का उपयोग करने के संबंध में राज्य सरकार और संबंधित विभागों को जरूरी दिशा- निर्देश देने की मांग की थी। डॉ. वर्मा ने अपनी पैरवी खुद हिंदी में की थी, इसलिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पाण्डेय की बेंच में निर्णय भी हिंदी में दिया है।
यह करना मौलिक अधिकारों का उलंघन : हाई कोर्ट
इस फैसले में हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के निर्णयों का हवाला देते हुए कहा है कि हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद उनकी जगह अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार का उल्लंघन करना होगा। इसी तरह ये अनुच्छेद 254 के बिलकुल विपरीत है। हाई कोर्ट ने कहा की सालों से संचालित हिंदी माध्यम स्कूलों को बंद कर उनकी जगह स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोल देना सही नहीं है।