अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने के बाद देश में पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतों में और वृद्धि हो सकती है. तेल की वैश्विक कीमतें बढ़ने की स्थिति में तेल कंपनियां के मार्जिन पर दबाव बढ़ जाता है.
सूत्रों ने इसका जिक्र करते हुये कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 12 दिन से कोई बदलाव नहीं हुआ लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय कीमतों में फिर से तेजी आने लगी है.
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल की मौजूदा कीमतें अगस्त माह के औसत दाम की तुलना में प्रति बैरल लगभग चार से छह डॉलर ऊपर पहुंच गईं हैं.
हालांकि, तेल कंपनियों द्वारा अभी तक खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं की गयी है. सूत्रों के अनुसार अगर अंतरराष्ट्रीय कीमतें बढ़े हुये स्तर पर बनी रहती हैं, तो तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) को पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में वृद्धि करनी होगी.
पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में आखिरी बार क्रमश: 17 जुलाई और 15 जुलाई को वृद्धि की गयी थी. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत फिलहाल 101.19 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 88.62 रुपये प्रति लीटर है.
जुलाई की तुलना में इस साल अगस्त में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की औसत कीमत में प्रति बैरल तीन डॉलर से अधिक की गिरावट हुई थी. ऐसा अमेरिका और चीन के मिश्रित आर्थिक आंकड़ों और कोरोना विषाणु के तेजी से फैलते डेल्टा वेरिएंट के कारण एशिया में आवाजाही पर लगे प्रतिबंधों के बीच हुआ था.
इस कारण से 18 जुलाई के बाद से तेल विपणन कंपनियों द्वारा दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में क्रमश: 0.65 रुपये प्रति लीटर और 1.25 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई थी.
आखिरी बार पांच सितंबर को कीमतों में कमी की गयी थी. हालांकि, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ताजा घटनाक्रम के साथ कच्चे तेल की कीमतों में अगस्त के अंतिम सप्ताह से लगातार उछाल आना शुरू हो गया. ब्रेंट कच्चा तेल की वायदा कीमत शुक्रवार को मामूली गिरावट के साथ 75.02 डालर प्रति बैरल पर बोली गई.