BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर चल रही जनहित याचिका की सुनवाई की गई। सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के डिविजन बेंच में हुई। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कलेक्टर को ही जिम्मेदारी दिए जाने के जवाब पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि कलेक्टर कहां-कहां देखे शिक्षा सचिव को भी तो कुछ करना चाहिए। सचिव क्या कर रहे हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री शाला जतन योजना के 1837 करोड़ का क्या कर रहे हैं कह कर खूब फटकार लगाई। कोर्ट शासन व स्कूल शिक्षा विभाग सचिव से शपथपत्र पर स्कूल भवनों को ठीक करने के बारे में प्रोग्रसे रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा।
बता दें, छत्तीसगढ़ में स्कूलों के जर्जर भवनों को लेकर जनहित याचिका में लगातार सुनवाई चल रही है। इसकी सुनवाई चीफ जस्टिस के बेंच में हुई। चीफ जस्टिस ने शिक्षा सचिव पर तीखी टिप्पणी करते हुए नाराजगी जताई साथ ही अगली सुनवाई में स्कूलों के प्रोग्रेस रिपोर्ट भी पेश करने के निर्देश दिए है।
महाधिवक्ता ने दी कई जानकारी
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री शाला जतन योजना में 1837 करोड़ सत्र 2022-23 के लिए जारी किया गया है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इस राश्ज्ञि का इस्तेमाल कहा किया गया। उन्होंने कहा कि वास्तव में स्कूलों की स्थिति सुधर रही है या सब कागजों पर ही है।
शिक्षा सचिव को कहा मॉनिटरिंग करने
कोर्ट ने तीखी टिप्पणी के बाद कहा कि इतना राशि शाला जतन के लिए आ रहा है। इसकी मानटरिंग खुद शिक्षा सचिव को करनी चाहिए कि आखिर धनराशि जा कहा रहा है। कहा लगाई जा रही है इस सब की जानकारी रखनी चाहिए।
2219 स्कूल की हालत जर्जर
कोर्ट में बताया गया कि प्रदेश में 31 मार्च 2024 के पहले सरकार ने जर्ज और सुरक्षित स्कूलों की गिनती कराई थी। इसमें 2219 स्कूलों को डिस्मेंटल करना था। 9 स्कूलों को रिपेयर करना था। इन स्कूलों के लिए फंड स्कूल जतन योजना और डीएमएफ फंड से ही इंतजाम करना है।