BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने फैसले में सिंगल बेंच के फैसले को रद करते हुए शासन की याचिका को स्वीकार की है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रजनी दुबे की डिवीजन बेंच ने कहा कि कानून की यह भी स्थापित स्थित है कि किसी कर्मचारी को निलंबन रद होने पर नियुक्ति के स्थान पर दावा करने का कोई अधिकार नहीं है। सक्षम प्राधिकारी निलंबन रद होने के बाद किसी कर्मचारी को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित कर सकता है। उन्होंने कहा कि सेवा की अत्यावश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भी निलंबर करना और ऐसे व्यक्ति को उसी पद और स्थान पर तैनात करना जहां उसके खिलाफ अभी भी विभागीय जांच चल रही हो, प्रशासन के हित में नहीं हो सकता है।
बता दें, याचिकाकर्ता प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी ने कार्यपालन अभियंता बीएल कापसे के पक्ष में सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते डीबी में याचिका दायर की थी। बीएल कापसे लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक एक बिलासपुर में कार्यपालन अभियंता के मूल पद पर पदस्थ हैं।
उन्हें चार अक्टूबर 2023 को निलंबित कर दिया गया और मुख्य अभियंता कार्यालय लोक निर्माण विभाग रायपुर से संलग्न कर दिया गया। उन्होंने निलंबन आदेश को चुनौती दी थी, जिसे 22 नवंबर 2023 के आदेश को रद दिया गया था। निलंबन आदेश को रद करने के बाद राज्य सरकार द्वारा पारित आदेश को प्रभारी नहीं कर रही थी। इसलिए उन्होंने एक अवमानना याचिका दायर की।
बाद में 24 जनवरी 2024 के आदेश 24 जनवरी 2024 जारी किया गया था और उसी तिथि को उसे स्थानांतरित स्थान पर कार्यभार ग्रहा करने के लिए कार्यमुक्त कर दिया गया था। इंजीनियर कापसे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आदेश को चुनौती दी थी। इस याचिका को कोर्ट ने यह कहते हुए स्वाीकर कर लिया कि याचिकाकर्ता पर आरोप लगाते हुए स्थानांतरित कर दिया गया है कि वह विभागीय जांच को प्रभावित कर सकता है जो कि केवल एक धारण है।
राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता ने कहा कि निलंबन आदेश रद होने के बाद वह य नहीं कह सकता कि उसे उसी स्थान पर पदस्थ किया जाए। राज्य शासन ने अपने जवाब में कहा कि 24 जनवरी 2024 का आदेश स्थानांतरण का आदेश नहीं है बल्कि केवल पोस्टिंग आदेश है। विभागीय जांच को लेकर सिंगल बेंच ने अनुमति दी थी।
राज्य शासन ने कहा कि चार अक्टूबर 2023 को मुख्यालय, मुख्य अभियंता कार्यालय, पीडब्ल्यूडी में पदस्थापना का आदेश दिया गया था। लोक निर्माण विभाग संभाग क्रमांक एक बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता होने के नाते वे 1500 कैदी की क्षमता वाले जेल भवन के निर्माण के लिए निविदा में गड़बड़ी का आरोप था।
उनके खिलाफ बिलासपुर में विभागीय जांच लंबित है। निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच के लिए उसे रायपुर में तैनात करना प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। उनकी पदस्थापना आदेश जारी करने में कोई पूर्वाग्रह नहीं हुआ है।
कोर्ट ने की गंभीर टिप्पणी
कोर्ट ने कहा कि ऐसे कर्मचारी जो साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने और स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच नहीं होने देने की पूरी संभावना हो सकती है। राज्य सरकार द्वारा जारी स्थानांतरण आदेश नहीं है बल्कि निलंबन रद करने के बाद केवल एक पोस्टिंग आदेश था।
इसकी पूरी संभावना हो सकती है कि प्रतिवादी इंजीनियर साक्ष्य के साथ छेड़छाड़ करेगा और स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की अनुमति नहीं देगा। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को खारिज कर दिया।