रायपुर। प्रदेश सरकार ने कृषि मंडी उपज शुल्क में वृद्धि के साथ ही कृषि उत्पादों पर कृषक कल्याण टैक्स दो फीसदी से बढ़ाकर पांच फीसदी कर दिया है। इससे कृषि उत्पादों पर अब प्रत्येक 100 रुपये पर दो के बदले पांच रुपये शुल्क वसूला जाएगा। धान को छोड़कर बाकी उत्पादों पर यह शुल्क डेढ़ रुपये तय किया गया है, जिसकी नई दरें एक दिसंबर से लागू हो गई हैं। इसकी जानकारी मिलने के बाद से किसानों ने विरोध शुरू कर दिया है।
मंडी शुल्क में की गई वृद्धि वापस लेने के लिए मंडी सचिव को ज्ञापन सौंपने के साथ ही धमतरी की कुरुद मंडी में शनिवार को किसानों ने ताला जड़ दिया। इसका असर यह हुआ है कि मंडियों में कृषि उत्पादों की बोली दर दो सौ रुपये से लेकर तीन सौ रुपये तक कम हो गई है। इस मामले में किसान महासंघ के महामंत्री नवीन ने बताया कि वैसे भी मंडी में उपज की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होती है। ऐसे में टैक्स बढ़ने से किसानों को ही नुकसान होगा।
मंडी शुल्क में वृद्धि का आदेश कृषि उत्पादन आयुक्त डा. कमलप्रीत सिंह के हस्ताक्षर से जारी हुआ है। अब राज्य की मंडियों में आने वाले सभी उत्पादों पर यह शुल्क लागू होगा। हालांकि, मामले में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह शुल्क किसानों की जगह व्यापारियों से लिया जाएगा। मगर, किसानों का कहना है कि व्यापारी मंडी शुल्क किसानों से ही वसूलते हैं, इसलिए इसका सीधा असर उनकी आय पर पड़ेगा।
बताते चलें कि मंडी शुल्क में संशोधन का विधेयक पिछले साल दिसंबर में विधानसभा में पेश करते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया था कि अभी तक प्रत्येक 100 रुपये पर यह शुल्क न्यूनतम 50 पैसे और अधिकतम दो रुपये था। अब अधिकतम सीमा बढ़ाकर तीन रुपये की गई है। उन्होंने तब बताया था कि कल्याण शुल्क का उपयोग मंडी-उप मंडी प्रांगण में अधोसंरचनाओं के निर्माण, सुविधाओं के विकास और कृषकों के हितों के संरक्षण के लिए किया जाएगा।