RAIPUR. छत्तीसगढ़ की निलंबित IAS रानू साहू और दीपेश टाँक को कोल लेवी मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हे 7 अगस्त तक अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने बचाव पक्ष से पैरवी की है। SC के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुईंयाँ की डबल बैंच ने यह आदेश जारी किए है। इसके पहले आज EOW/ACB ने तीन नई एफआईआर दर्ज की थी।
निलंबित IAS रानू साहू, समीर बिश्नोई समेत निलंबित राप्रसे अधिकारी सौम्या चौरसिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की धाराओं में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत यह FIR दर्ज की गई है। तीनों के खिलाफ अलग अलग FIR दर्ज की गई है।
ईडी के कोल स्कैम से जुड़े पीएमएलए मामले में बीते 22 जुलाई 2022 से गिरफ़्तार निलंबित आईएएस रानू साहू और दीपेश टांक को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम ज़मानत मिली है। लेकिन इस अंतरिम ज़मानत आदेश के बावजूद रानू साहू की जेल से रिहाई फ़िलहाल संभव नहीं है, क्योंकि उनके विरुद्ध ईओडब्लू/एसीबी ने दो मामले पंजीबद्ध किए हैं। दोनों ही मामलों में रानू साहू को ज़मानत नहीं मिली है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुईंयाँ की पीठ में रानू साहू और दीपेश टांक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष का तर्क था कि, ईडी की कार्यवाही विधिक अधिकारिता नहीं रखती। बचाव पक्ष ने शेड्यूल अफेंस नहीं होने का तर्क दिया। इसके अतिरिक्त यह तर्क भी थे कि, याचिकाकर्ता लंबे समय से जेल में हैं और मामले का विचारण लंबा समय लेगा।
ईडी की ओर से ईओडब्लू की एफ़आइआर का ज़िक्र करते हुए तर्क दिया गया कि, कोल स्कैम की ईसीआईआर में ईओडब्लू की एफ़आइआर को शामिल किया गया है, इसलिए यह तर्क मान्य नहीं है कि, ईडी की कार्यवाही विधिक अधिकारिता नहीं रखती और मामले में शेड्यूल अफेंस नहीं है। लेकिन बचाव पक्ष की ओर से यह तर्क दिया गया कि, जिस ईसीआईआर के आधार पर कार्यवाही की गई, गिरफ़्तार किया गया, तब उस ईसीआईआर में शेड्यूल अफेंस नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट में कोल स्कैम मामले में जिन आधारों पर रानू साहू और दीपेश टांक को ज़मानत मिली है, उनका आधार सुनील अग्रवाल केस ही है। इसके पहले सुनील अग्रवाल को कोल स्कैम मामले में सुप्रीम कोर्ट से सबसे पहले अंतरिम ज़मानत मिली हुई है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट 7 अगस्त को सुनवाई करेगी।