RAIPUR. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सोमवार को आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि (डीएमएफ) से जुड़े खनन ठेकेदारों ने सरकारी निविदाएं प्राप्त करने के एवज में राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक पदाधिकारियों को ‘भारी मात्रा में रिश्वत’ दी।
संघीय एजेंसी ईडी ने एक बयान में कहा कि उसने इस मामले में एक मार्च को राज्य में 13 स्थानों पर छापे मारे और ‘संबंधित’ डिजिटल और कागजी दस्तावेजों के अलावा लगभग 27 लाख रुपये नकद जब्त किए।
कथित डीएमएफ घोटाले में धनशोधन की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज तीन प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद शुरू की गई थी।
प्राथमिकी में राज्य के अधिकारियों और राजनीतिक पदाधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन की हेराफेरी करने के आरोप में ठेकेदारों और कुछ अन्य आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया।
ईडी ने कहा, ‘‘यह मामला छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से प्राप्त धन के उपयोग में भ्रष्टाचार से संबंधित है। डीएमएफ खननकर्ताओं द्वारा वित्त पोषित एक ट्रस्ट है जिसे खनन से संबंधित परियोजनाएं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में स्थापित किया गया है।’’
इसमें आरोप लगाया गया कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक पदाधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन/रिश्वत का भुगतान किया, जो अनुबंध मूल्य का 25-40 प्रतिशत है। ईडी ने कहा कि ‘रिश्वत के भुगतान’ के लिए इस्तेमाल की गई नकदी विक्रेताओं द्वारा हवाला प्रविष्टियों का इस्तेमाल करके उत्पन्न की गई थी।
ईडी ने एक उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि कोरबा जिले को आवंटित डीएमएफ 2,000 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2022-23 तक) से अधिक था।
ईडी ने कहा कि प्रचलित दर से अकेले कोरबा में कमीशन की रकम 500-600 करोड़ रुपये होगी। ईडी ने कहा कि पूरे राज्य के डेटा का विश्लेषण और अपराध से प्राप्त आय की मात्रा पता लगाने का काम किया जा रहा है।