DURG-BHILAI. प्रदेशभर में सालों से प्रधान पाठक के पदों पर प्रभार पर चल रहे स्कूलों में पदोन्नति के जरिए ये पोस्ट भरे गए थे। अब एक बार फिर थोक के भाव में तबादले किए गए हैं। अकेले दुर्ग जिले में ही 72 आदेश इसे लेकर जारी किए गए हैं। हालांकि कुछ पत्र तबादला को निरस्त करने को लेकर भी है।
दरअसल, शिक्षकों की नियमित भर्ती मध्य प्रदेश के दौर में अंतिम बार हुई थी। उसके बाद पहले संविदा शिक्षक और फिर शिक्षाकर्मी के रूप में शिक्षकों की नियुक्ति की गई। लंबे इंतजार के बाद इन शिक्षाकर्मियों को नियमित किया गया है। इन सब कवायद के बीच प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में पिछले 15 से 20 सालों में कई शिक्षकों के साथ ही प्रधान पाठक सेवानिवृत्त हो गए तो कई का निधन हो गया। इन सबके बाद भी इन स्कूलों पर शासन ने बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और प्रधान पाठक जैसे महत्वपूर्ण पद पर प्रभारी बनाकर ही वहां के शिक्षकों व शिक्षाकर्मियों को नियुक्त कर दिया गया था।
इस बीच एक और तथ्य सामने आया कि अधिकांश शिक्षकों ने जिला मुख्यालयों व ब्लॉक मुख्यालयों के साथ ही आसपास के स्कूलों में ही मिलीभगत कर अपनी पोस्टिंग करवा ली। इससे दूरस्थ इलाकों में जहां शिक्षकों की कमी हो गई और एक या दो शिक्षकों के भरोसे ही स्कूल चल रहे हैं तो वहीं शहरी इलाकों के आसपास के स्कूलों में शिक्षक अतिशेष में हैं। अब जाकर इस ओर सुध लिया गया है। एक ओर, शिक्षकों की पदोन्नति कर उन्हें प्रधान पाठक बनाया जा रहा है तो वहीं शिक्षकों का तबादला भी किया जा रहा है। इसी कड़ी में एक बार फिर तबादले का नया आदेश स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी हुआ है।
आपत्ति के बाद निरस्त भी किए तबादले
दुर्ग जिले में ही कई शिक्षकों का तबादला दूसरे स्कूलों में किया गया है। वहीं इससे पहले भी कुछ शिक्षकों का तबादला किया गया था, जिसमें कुछ ने आपत्ति दर्ज कराई है। उनकी सुनवाई के बाद तबादला आदेश निरस्त कराने की उनकी मांग को वाजिब पाते हुए कई का आदेश निरस्त किया गया है। इस तरह कुल 72 आदेश जिले के शिक्षकों को लेकर जारी किए गए हैं।
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