DURG NEWS. जिले के जामुल नगरपालिका के वार्ड-क्रमांक 20 सुरडुंग में रुद्र महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। इस यज्ञ में आयोजन समिति की ओर से संतों को बुलाया जा रहा है। लेकिन नकली संत अधोक्षजानंद देव तीर्थ नाम व्यक्ति को भी बुलाया जा रहा है। उसे पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य के तौर पर प्रचारित भी कर रहे हैं। इस बात का विरोध धर्मसंघ, पीठ परिषद, आदित्यवाहिनी एवं आनंदवाहिनी छत्तीसगढ़ प्रांत की ओर से विरोध किया जा रहा है। इस पर कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया है।
बता दें, पुरा पीठाधीश्वर के तौर पर केवल एक ही शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती को जाना जाता है। ऐसे में उनके होते हुए किसी अन्य नकली व्यक्ति का खुद को पुरी पीठाधीश्वर कह कर प्रचारित करना गलत है। इसी का विरोध धर्म संघ, आदित्यवाहिनी और आनंद वाहिनी के सदस्य कर रहे है।
कलेक्टर को इसके लिए ज्ञापन भी सौंपा गया है। ज्ञापन में कलेक्टर को जगन्नाथ पुरी के कलेक्टर का पत्र और उच्च न्यायालय का हवाला भी दिया गया। कलेक्टर से यह मांग की गई है कि प्रदेश में किसी भी तरह के नकली संत के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाए।
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कि वर्तमान में ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्धनमठ पुरीपीठ के 145 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य अनन्तश्री विभूषित स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज हैं। जो कि दार्षनिक, आध्यात्मिक, वैज्ञानिक, गणित आदि विधाओं के विद्वान तथा वर्तमान में सनातन धर्म के वरिष्ठतम आचार्य हैं।
जो सनातन धर्म और सनातन मानबिन्दुओं रक्षा के लिए लगातार वर्ष पर्यन्त सम्पूर्ण भारत वर्ष का भ्रमण कर रहे हैं। जिनसे समय समय पर देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी , गृहमन्त्री अमित शाह सहित पूर्व एवं वर्तमान केन्द्रीय मन्त्रीगण, पूर्व एवं वर्तमान मुख्यमंत्रीगण योगी आदित्यनाथ , विष्णुदेवसाय, शिवराजसिंह , डा.रमनसिंह इत्यादि ने भेंट किया है। यही नहीं, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने कई जजमेन्टों में पुरी के वर्तमान प्रामाणिक शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती महाराज का उल्लेख किया है तथा कई धार्मिक विषयों पर कोर्टमित्र के माध्यम से उनका मार्गदर्षन भी प्राप्त किया है।
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ऐसी स्थिति में अधोक्षजानन्द देवतीर्थ जैसे नकली व्यक्ति का प्रदेश में आगमन तथा किसी के भी द्वारा उसे शंकराचार्य के रुप में बुलाना या सामान्य रुप से भी बुलाना (जबकि वह नकली आचार्य बन कर घूमने वाला है) यह धर्म तथा भारतीय न्यायपालिका के सर्वथा विरुद्ध है। जिसके कारण धर्मसंघ पीठपरिषद आदित्यवाहिनी एवं आनन्दवाहिनी संस्था ने इस प्रकार के फर्जी व्यक्ति के शंकराचार्य के रुप में अनैतिक आगमन को प्रतिबन्धित करने हेतु छत्तीसगढ़ के मुख्यमन्त्री, गृहमन्त्री एवं विधानसभा अध्यक्ष से मांग की है।
ज्ञातव्य हो कि इस संबंध में संस्था के प्रतिनिधिमण्डल ने विधानसभा अध्यक्ष डाॅ.रमनसिंह को ज्ञापन दिया जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने इस विषय को अत्यन्त गंभीर मानते हुए गृहमन्त्री श्री विजय शर्मा को कार्यवाही के लिए पत्र भी लिखा है तथा प्रतिनिधिमण्डल ने गृहमन्त्री से मुलाकात कर त्वरित कार्यवाही हेतु अनुरोध भी किया है।