BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में विवाह विच्छेदन मामले पर याचिका दायर की गई। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस गौतम भादुड़ी व जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की बेंच ने फैसले में कहा कि पति के साथ रहने की पत्नी की मांग स्वाभाविक है उसकी इच्छा के खिलाफ उसे दूसरी जगह रखना अनुचित है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्नी को बंधुआ मजदूर की तरह नहीं रखा जा सकता है।
बता दें, सरगुजा में रहने वाले कांस्टेबल की शादी 26 अप्रैल 2013 को सूरजपुर निवासी महिला के साथ हिन्दू रीति-रिवाज से हुई थी। शादी के बाद वह ससुराल आयी। उनकी एक बेटी हुई।
पति ने अपनी पत्नी पर आरोप लगाया है कि वह किसी को भी बिना बताए अपने मायके चली जाती थी। इसके साथ ही उसने पति के साथ गांव में रहना भी नामंजूर कर दिया था।
कांस्टेबल के मुताबिक उसकी पोस्टिंग गांव में है। जहां पर माता-पिता व वृद्ध दादी की देखभाल करना संभव नहीं है। इसलिए वह पत्नी को अपनी दादी के साथ रखना चाहता था लेकिन वह ऐसा नहीं करती थी। बिना बताए ही अपने मायके चली जाती थी। बेटी का भी एडमिशन अपने मायके में करा दिया।
पति ने आरोप लगाया है कि पत्नी अपने वैवाहिक दायित्यों का पालन नही कर रही थी। जिसके कारण उसके परिजनों को परेशानी उठाना पड़ रहा है। इसी तरह पत्नी ने भी अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करा दिया है और भरण पोषण के लिए आवेदन भी कोर्ट में प्रस्तुत किया है।
वे पिछले तीन साल से अलग रह रहे है और अब साथ रहना संभव नहीं है। पति ने अपनी पत्नी पर चरित्र शंका भी जताई है। दोनों ने परिवार न्यायालय में विवाह विच्छेदन के लिए अर्जी लगाई थी। जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था अब हाईकोर्ट ने भी अपील को खारिज कर दिया है।
पत्नी ने कहा अभी भी साथ रहने को तैयार
कोर्ट के सामने पत्नी ने कहा कि वह अभी भी अपने पति के साथ रहने के लिए तैयार है। उसकी बेटी छोटी है और उसका एडमिशन सास-ससुर के गांव में करा दिया है। वहीं वह खुद दादी की सेवा करते हुए गांव में अकेली थी।
इसलिए अपने साथ बेटी को रखने उसने उसका दाखिला दूसरे जगह कराया। उसने पति पर आरोप लगाया कि उन्होंने वैवाहिक जीवन में बांधा डालने की कोशिश की। वह अभी भी अपने पति के साथ रहने को तैयार हैै।