TEHRAN NEWS. इजराइल-ईरान युद्ध के बीच अब अमेरिका में इस जंग में खुलकर सामने आ गया है। अमेरिका ने ईरान की तीन प्रमुख परमाणु साइट्स- फोर्दो, अस्फाहन और नात्नंज को निशाना बनाकर बंकर बस्टर बम और मिसाइलें बरसाईं। ऑपरेशन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा, ‘हमने ईरान की अहम परमाणु साइट्स नष्ट कर दीं। दुनिया में कोई और सेना ऐसा नहीं कर सकती है। ईरान में या तो शांति होगी या त्रासदी, जो ज्यादा घातक होगी। वहीं, ईरान ने कहा कि हमारे परमाणु कार्यक्रम को मामूली नुकसान हुआ है। 11 लोग घायल हैं। रेडिएशन के संकेत नहीं है। ईरान ने इजराइल पर 40 मिसाइलें दागीं। इजराइल ने ईरान के सैन्य ठिकानों पर हमला किया।
इस जंग के बीच एक बड़ी जानकारी मिली है। दरअसल, अमेरिका के खिलाफ ईरान की बड़ी ताकत 33 किमी चौड़ा होर्मूज समुद्री गलियारा है। दुनिया की 26% क्रूड ऑयल सप्लाई यहीं से है। ईरान यहां अमेरिकी टैकरों को निशाना बनाता है तो यह युद्धक्षेत्र बन सकता है। इससे तेल के दाम बढ़ने की आशंका रहेगी। कुवैत, बहरीन, कतर और सऊदी अरब में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ईरान हमला कर सकता है। यमन के हूती विद्रोही, लेबनान के हिजबुल्ला और फिलिस्तीनी हमास पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। ईरान इनके जरिए हमले करा सकता है।
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अमेरिकी सिक्योरिटी एक्सपर्ट डेविड ऑलब्राइट के अनुसार नात्नंज से 100 किमी दूर कोहे कलंग गजला में ईरानी परमाणु जखीरा सुरक्षित है। मैक्सर इमेजिंग के अनुसार ईरान ने फोरडो से 3 दिन पूर्व 16 ट्रकों में हथियार निकाल लिए थे। वहीं, ईरान ने अमेरिका को चेतावनी देते हुए कहा कि हम बदला लेंगे। इससे पहले इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले के लिए ट्रम्प की सराहना की। नेतन्याहू ने कहा, पहले ताकत आती है, फिर शांति आती है।
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने बताया कि यह हमले ईरान की परमाणु क्षमताओं को कमजोर और तबाह करने के लिए थे। कई राष्ट्रपतियों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर आखिरी वार करने का सपना देखा था, लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प से पहले कोई ऐसा नहीं कर सका। हेगसेथ ने कहा कि जब राष्ट्रपति ट्रम्प बोलते हैं, तो दुनिया को सुनना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रपति ट्रम्प शांति चाहते हैं, परमाणु हथियार नहीं। ईरान को यही रास्ता अपनाना चाहिए। गौरतलब है कि इससे पहले, शुक्रवार को ही ट्रम्प ने कहा था कि वे ईरान में सीधी सैन्य कार्रवाई के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने इस पर दो हफ्ते में फैसला लेने के संकेत दिए थे।
जानिए भारत पर क्या असर
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव के अजय श्रीवास्तव के मुताबिक क्रूड का दो-तिहाई और करीब आधा एलएनजी भारत होर्मूज के रास्ते मंगाता है। लाल सागर में भी स्थिति बिगड़ रही है। इससे भारत से पश्चिमी देशों को निर्यात प्रभावित होगा। शिप केप ऑफ गुड होप के रास्ते मोड़ने पड़े, तो डिलीवरी दो हफ्ते देरी से होगी। निर्यात लागत बढ़ेगी। भारत का 3.5 लाख करोड़ रु. का व्यापार जोखिम में आ सकता है। वहीं, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने कहा, हम आपूर्ति स्रोतों में विविधता लाए हैं। तेल कंपनियों के पास कई हफ्तों का पर्याप्त भंडार है। अभी कोई असर नहीं।
ये है ईरान के पास 3 विकल्प
- ईरान अगर जवाबी कार्रवाई नहीं करता, तो वह आगे अमेरिकी हमले से बच सकता है। कूटनीतिक रास्ता चुन सकता है। अमेरिका के साथ फिर से बातचीत शुरू कर सकता है। लेकिन इससे उसकी छवि कमजोर होगी।
- ईरान के पास बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। वह मध्य एशिया में फैले 20 अमेरिकी ठिकानों को निशाना बना सकता है।
- ईरान अभी जवाब नहीं देगा। तनाव कम होने का इंतजार करेगा। इसके बाद तब हमला करेगा, जब अमेरिकी ठिकाने सतर्कता की स्थिति में न हों।