WASHINGTON NEWS. ईरान-इजराइल के बीच 13 जून से जारी संघर्ष के बीच अमेरिका ने अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ा दी है। अमेरिका ने मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरफोर्स बेस से छह B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स को गुआम की ओर रवाना किया है। ये बॉम्बर्स बंकर बस्टर बम ले जाने में सक्षम हैं, जो ईरान के गहरे भूमिगत न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बना सकते हैं। फ्लाइट ट्रैकर डेटा के अनुसार, इन बॉम्बर्स ने मिसौरी से उड़ान भरने के बाद रास्ते में रिफ्यूलिंग की। माना जा रहा है, भारी बम लोड के कारण कम ईंधन से उड़ाया गया।
दूसरी ओर, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने इजराइली हमलों में वरिष्ठ अधिकारियों की मौत के बाद अपनी हत्या के मद्देनजर संभावित उत्तराधिकारियों के नाम घोषित किए हैं। ईरान में पहली बार सार्वजनिक रूप से उत्तराधिकार की चर्चा हुई है। मतलब ये कि ईरान नेतृत्व अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंतित है। हूती प्रवक्ता ने कहा, अगर अमेरिका ने इजराइल के साथ मिलकर ईरान पर हमला किया, तो वे लाल सागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाएंगे। मई में संघर्षविराम हुआ था।
वहीं, इजराइली हमले में ईरान के एक और परमाणु वैज्ञानिक की मौत हो गई। ईरान की मेहर न्यूज एजेंसी के मुताबिक, साइंटिस्ट इसार तबातबाई-कमशेह और उनकी पत्नी के अपार्टमेंट को ड्रोन से टारगेट किया गया। इजराइली हमले में ईरान के 10 न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स मारे जा चुके हैं। वहीं, ईरान ने पहली बार माना है कि उसने एक जर्मन साइकिलिस्ट मारेक कॉफमैन को जासूसी के आरोप में हिरासत में लिया है। उसने ईरान के मिलिट्री ठिकाने की फुटेज रिकॉर्ड करने की बात कबूल की है।
जानिए B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स की खासियत
B-2 अमेरिका के वे एडवांस बॉम्बर विमान हैं, जो काफी गहराई में मौजूद अंडरग्राउंड टारगेट को भी नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। ये विमान 30,000 पाउंड के GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर को ले जाने के लिए डिजाइन हैं। विश्व के नक्शे पर गुआम की लोकेशन फिलीपींस के पास है। अगर इन विमानों को मि़डिल ईस्ट के लिए तैनात किया जाना है, तो इसे गुआम पहुंचने के बाद इन्हें डिएगो गार्सिया द्वीप पर भेजा जाएगा। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि यह विमान डिएगो गार्सिया जाएंगे।
बता दें कि पिछले महीने तक B-2 विमान डिएगो गार्सिया में ही तैनात थे। लेकिन बाद में उन्हें B-52 बॉम्बर से रिप्लेस कर दिया। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्हें यह तय करने में दो हफ्ते का समय लगेगा कि अमेरिका इजरायल के साथ ईरान के खिलाफ संघर्ष में शामिल हो या नहीं।