POP FRANCIS DIES NEWS. ईसाई धर्म के धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो गया है। पोप फ्रांसिस 88 वर्ष के थे। पिछले कई महीनों से अस्वस्थ्य चल रहे थे। फेफड़ों के इन्फेक्शन के चलते उनका उपचार चल रहा था। सोमवार की सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोप ने अंतिम सांस ली। उनके शव को रात आठ बजे वेटिकन स्थित सेंट मार्था निवास पर कार्डिनल केविन जोसेफ फेरेल पोप का शव को ताबूत में रखा जाएगा।
बता दें, कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस इतिहास के पहले लैटिन अमेरिकी पोप थे। पिछले कई महीनों से पोप की तबियत खराब थी। 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया था।
फेफड़ों में समस्या के साथ ही निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था। बताया जा रहा है कि ब्लड टेस्ट रिपोर्ट में किडनी फेल होने के लक्षण दिख रहे थे। इसके बाद 14 मार्च को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया था।
जानें कौन थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस काा नाम जॉर्ज मारियो था। बर्गोलियो में उनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में हुआ था। उन्होंने हाई स्कूल से केमिकल टेक्नीशियन की डिग्री प्राप्त की थी फिर मार्च 1958 में जेसुइट संप्रदाय में प्रवेश लिया था। इसके बाद अपनी धार्मिक शिक्षा के 1960 में जेसुइट स्कूलों में साहित्य और मनोविज्ञान पढ़ाया। 13 दिसंबर 1969 को पादरी बनाए गए थे।
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फिर 1973 को उन्हें अर्जेंटीना में जेसुइट प्रांत का प्रमुख नियुक्त किया गया था। 1992 में पोप जॉन पॉल ने उन्हें ब्यूनस आयर्स का सहायक बिशप बनाया। 1997 में वे कोअज्यूटर आर्कबिशप बनाए गए। 1998 में आर्चडायोसीज के प्रमुख बनाए गए। इसके तीन साल के बाद सेंट जॉन पॉल ने उन्हें कार्डियन की उपाधि दी गई। इसके बाद 13 मार्च 2013 को पोप बेनेडिक्ट के 16वें उत्तराधिकारी चुने गए। तब उनकी उम्र 76 वर्ष थी। उत्तराधिकारी चुने जाने के बाद उन्होंने फ्रांसिस नाम अपनाया।
पहले गैर यूरोपीय पोप बने
पोप फ्रांसिस पहले पोप थे जो गैर यूरोपीय होकर पोप बने। पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी थी फिर रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बनाए गए थे। बीते 1000 साल में पहले ऐसे इंसान थे जो गैर यूरोपीय होते हुए भी कैथोलिक धर्म के सर्वोच्च पद पर पहुंचे।