BILASPUR NEWS. प्रदेश में शिक्षक भर्ती मामले में डीएलएड की जगह बीएड के अभ्यर्थियों को प्रायमरी शिक्षक नियुक्त करने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने पहले की सुनवाई में सरकार को डीएलएड अभ्यर्थियों की लिस्ट जारी करने कहा था। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के सामने जवाब पेश किया। हाईकोर्ट में महाधिवक्ता कार्यालय से ला अफसरों ने यह जवाब दिया कि शैक्षणिक सत्र के बीच में इस तरह की प्रक्रिया पूरी करने से परेशानी आएगी। इस जवाब को सुनते ही कोर्ट नाराज हुआ और कोर्ट ने राज्य सरकार को अंतिम 15 दिन की मोहलत दी है। साथ ही यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यह साफ है कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हर हाल में परिपालन करना है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें, प्रदेश में प्रायमरी स्कूल में डीएलएड उम्मीदवारों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति देनी है। लेकिन बीएड अभ्यर्थियों को प्रायमरी शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया गया है। इस पर डीएलएल अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दोनों ही जगह से डीएलएड अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला आया और उनकी लिस्ट कोर्ट ने मांगी थी साथ ही बीएड अभ्यर्थियों की नियुक्ति को निरस्त करने कहा गया।
लेकिन इन सबके बाद कोर्ट में राज्य शासन ने जवाब पेश किया और डीएल अभ्यर्थियों के लिस्ट देने के बजाए सरकार ने कहा कि अभी परीक्षा का समय है और ऐसा करने से परेशानी होगी। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का परिपालन करने का आदेश दिया है। इसके अलावा ऐसा नहीं करने पर सख्त कार्रवाई करने की बात कहीं है।
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भर्ती प्रक्रिया के लिए समय पूछा कोर्ट ने
मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा के बेंच में हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता कार्यालय से आए लॉ अधिकारियों से पूछा कि डीएलएड डिप्लोमाधारकों को सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्रक्रिया के पूरी करने के लिए कितने समय चाहिहए है। इस पर दो हफ्ते का समय मांगा है।