BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बाघ की मौत पर इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई शुरू की है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के बेंच में हुई। कोर्ट ने बाघ के मौत पर सवाल उठाए है। साथ यह भी कहा कि प्रदेश में जंगल व जीव दोनों ही सुरक्षित नहीं है। इस मामले में कोर्ट ने मुख्य वन संरक्षक को 10 दिन के अंदर ही शपथपत्र पर जवाब देने कहा है।
बता दें, दो दिन पूर्व 8 नवंबर 2024 को सरगुजा के कोरिया वन मंडल के पास खनखोपड़ नाला के किनारे बाध का शव मिला था। जिसे वन विभाग के अधिकारियों ने मौत का कारण जहर खुरानी को बताया। इसकी जांच की जा रही है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः ही संज्ञान लिया है और मामले की सुनवाई शुरू की है।
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जंगल व जीव दोनों की सुरक्षा पर सवाल उठाए है। साथ ही मुख्य वन संरक्षण को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने कोर्ट को बताया कि बाघ की मौत के मामले में कड़ी कार्रवाई की जा रही है। वन विभाग के अफसर घटना स्थल पहुंचकर दो किलोमीटर के दायरे में रह रहे लोगों से पूछताछ करने में लगे है।
हाईकोर्ट ने की कड़ी टिप्पणी
हाईकोर्ट ने बाघ की मौत को लेकर भी टिप्पणी की और कहा कि यह दूसरी मौत है। बाघ भारत में जल्दी से मिलते नहीं है। यहां तो संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने नाराजगी जताई और इस मामले को गंभीरता से लेने को कहा।