NEW DELHI. हिंडनबर्ग के बाद अब कांग्रेस ने सेबी की चेयरमैन माधवी पुरी बुच पर कई आरोप लगाए हैं। कांग्रेस के मीडिया प्रभारी पवन खेड़ा ने कहा कि माधवी साल 2017 से 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य रही हैं। वह साल 2022 में चेयरपर्सन बनीं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ने कहा कि साल 2017 से 2024 के बीच माधवी ने ICICI बैंक से 16.80 करोड़ रुपए की सैलरी ली। उन्होंने कहा कि इस दौरान माधबी सेबी से सैलरी लेती रहीं और आईसीआईसी बैंक से भी। कांग्रेस ने इसे कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट का मामला बताया है।
मीडिया से चर्चा के दौरान पवन खेड़ा ने सेबी की ईमानदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि बाजार नियामक को निष्पक्षता और स्वतंत्रता बनाए रखनी चाहिए। खेड़ा ने पूछा कि जब सेबी प्रमुख को आईसीआईसीआई बैंक जैसी निजी संस्था से सैलरी मिल रही है तो कोई सेबी की निष्पक्षता को कैसे सुनिश्चित कर सकता है? कांग्रेस ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सेबी पर कोई ‘बाहरी प्रभाव’ नहीं है।
ED की बड़ी कार्रवाई… छापे के बाद इस मामले में AAP विधायक अमानतुल्लाह खान गिरफ्तार, अब सियासत भी तेज
बता दें कि पिछले महीने अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी और उनके पति धवल बुच पर कथित अडानी घोटाले के कनेक्शन का आरोप लगाया था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने डॉक्यूमेंट्स का हवाला देते हुए कहा था कि बुच और उनके पति के पास एक ऐसे ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी थी जिसमें गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा बड़ी मात्रा में पैसा निवेश किया गया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद सेबी प्रमुख और उनके पति ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर हिंडनबर्ग के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।
ये भी पढ़ें: कमाल के हैं Google Pay के ये फीचर्स, अब UPI अकाउंट से जोड़ सकेंगे दो तरह के यूजर्स
कांग्रेस ने इसी के साथ सवाल किया कि सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है? यह कैबिनेट, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नियुक्ति समिति है। सेबी के अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए इस समिति में दो सदस्य हैं और वही जिम्मेदार है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सेबी की भूमिका शेयर बाजार को विनियमित करना है, जहां हम सभी अपना पैसा निवेश करते हैं। इसकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। खेड़ा ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच सेबी अध्यक्ष होने के बावजूद आईसीआईसीआई बैंक से वेतन ले रही थी।