BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः ही संज्ञान लेते हुए कान फोडूडीजे पर रोक लगाने जनहित याचिका की सुनवाई शुरू की। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने राज्य शासन से समुचित प्रबंधन को लेकर जानकारी मांगी। इस पर महाधिवक्ता प्रफुल्ल भारत ने बताया कि हाल ही में अफसरों की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इसमें जिले के एसपी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। महाधिवक्ता ने विस्तार से जवाब देने के लिए कोर्ट से समय मांगी। कोर्ट ने राज्य शासन को जवाब पेश करने के लिए समय दिया है।
बता दें, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने डीजे, धुमाल के शोर के कारण मासूम बच्चे की मौत की खबर के बाद स्वतः ही संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की। ध्वनि प्रदूषण पर प्रभावी रोक लगाने खासकर डीजे की आवाज को नियंत्रित करने को लेकर कोर्ट ने जरूरी हिदायत के साथ सुनवाई शुरू की है।
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन से कहा है कि पूरे प्रदेश में डीजे को नियंत्रित करने के लिए आगे क्या कार्रवाई होगी इसे निश्चित करें। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष पुलिस महानिदेशक ने डीजे और कोलाहल नियंत्रण के संबंध में अपना शपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
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पहले भी लगाई गई याचिका
डीजे व धुमाल जैसे कानफोडू यंत्रों के आवाज को नियंत्रित करने के लिए पहले भी नागरिक संघर्ष समिति रायपुर और कई अन्य नागरिकों ने आम त्योहारों और शादी समारोहों में तेज आवाज के साथ बजाए जाने वाले डीजे को लेकर जनहित याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने किए कई सवाल
कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस पर कई सवाल भी उठाए गए। डीजे द्वारा दे रात तक किए जा रहे ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट ने पूछा था कि आम आदमी करेगा क्या, ऐसा लगता है लॉ एण्ड ऑर्डर ही नहीं रह गया है। कोर्ट ने कहा कि डीजे बजाने पर जो प्रतिबंध लगाया गया है उसके नियमों का पालन नहीं हो रहा है और अभी भी डीजे बजाने की घटनाएं हो रही है। प्रशासन ध्वनि प्रदूषण के नियमों का पालन नहीं करा रहा है।