BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने शासन से नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट हस्तक्षेप ना करे तो क्या लोगों को जहर पिलाएंगे। लोगों के जानमाल की चिंता भी है या नहीं। लापरवाही के चलते पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया गया है।
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बता दें, धूमा के भाटिया वाइंस से निकलने वाले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में हजारों मछलियों की मौत को लेकर सोशल मीडिया में आयी वीडियो के बाद इस मामले को कोर्ट ने जनहित सुनवाई के तौर पर संज्ञान में लिया। जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीविजन बेंच में हुई। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोर्ट को बताया कि निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में खामियां मिली थी। प्रदूषित पानी खजूरी नाले से शिवनाथ नदी में जा रहा था। जांच में यह भी पाया गया है कि जहां फैक्ट्री का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा था वहां ऑक्सीजन का स्तर शून्य था।
क्षेत्रीय कार्यालय ने 8 लाख 70 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका है। साथ ही खामियों को दूर करने कहा गया है। वहीं भाटिया वाइंस ने जवाब देते हुए कोर्ट को बताया कि कमियां दूर कर ली गई हैं। पेनाल्टी जमा कर दी गई है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बातें सुनने के बाद कहा कि नियमों के अनुसार फैक्ट्री खेालने पर उचित आदेश जारी करने के लिए पर्यावरण प्रदूषण मंडल स्वतंत्र है।
लाखों मछलियां मरी पायी गई थी
मुंगेली जिले के ग्राम धूमा में भाटिया वाइंस फैक्ट्री से निकले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में लाखों मछलियां मर गई थी। 30 जुलाई को पर्यावरण संरक्षण मंडल ने हाईकोर्ट को बताया कि जांच के लिए हाई पॉवर कमेटी बनाई गई है। 13 अगस्त को बोर्ड ने बताया कि 22 व 23 जुलाई को फैक्ट्री का निरीक्षण किया गया था।
फैक्ट्री में शर्तों का उल्लंघन करना पाया गया है। मंडल ने बताया कि धूमा में वाइंस का 2 प्लांट है। प्रतिदिन 30 किलो लीटर रेक्टिफाइड स्प्रिट उत्पादन होता है। जिससे हर रोज 360 किलो लीटर अपशिष्ट प्रदूषित पानी का उत्पादन होता है।