BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में तलाक की याचिका पर सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे के बेंच में हुई। कोर्ट ने तलाक के विषय में कहा कि लंबे समय तक पति-पत्नी अलग रहते है तो रिश्तों में सुधार के गुंजाइश कम हो जाती है। ऐसे में तलाक का निर्णय उचित है। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को निरस्त करने का आदेश देते हुए तलाक की याचिका को मंजूरी दी है।
बता दें, डोंगरगढ़ के रेलवे कॉलोनी में रहने वाली ट्रेन ड्राइवर की शादी वर्ष 1998 मई में हुई थी। रेलवे में ड्राइवर होने के कारण उसे रेलवे कॉलोनी में मकान आवंटित हुआ था। जहां वह अपनी पत्नी के साथ रहते थे। उनका एक बेटा भी है। शादी के कुछ साल बाद पति को रेल यूनियन का सचिव निर्वाचित किया गया।
सचिव होने के नाते रेल कर्मचारी अपनी समस्याएं लेकर उनसे मिले आते थे लेकिन ये बात उनकी पत्नी को नापसंद थी। वह शक करती थी और इसी वजह से उनके बीच विवाद होता था। समझाइश देने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। बल्कि पत्नी का व्यवहार और भी आक्रामक हो गया।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि पत्नी के माता-पिता भी उसका सहयोग करते थे पत्नी के खराब व्यवहार के चलते वे अपने एक दोस्त के घर पर 8 सालों से रह रहे है। उन्होंने बताया कि पत्नी को बार-बार समझाने पर वह नहीं समझी तब ऐसे में उन्होंने कोर्ट का सहारा लिया और तलाक के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। कोर्ट ने पत्नी को आदेश दिया था कि उसे अपने बेटे से मिलने दिया जाए लेकिन कोर्ट के कई बार आदेश देने के बाद भी पत्नी बेटे से मिलने नहीं दिया। तब उसे तलाक का नोटिस भेजा।
कोर्ट ने किया ट्रायल कोर्ट का फैसला निरस्त
ट्रायल कोर्ट ने पति के आवेदन और पत्नी का लिखित जवाब मिलने के बाद ट्रायल कोर्ट ने तीन सवालों पर विचार किया। इसमें क्या पत्नी के पति के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया, क्या पति क्रूरतापूर्ण व्यवहार के कारण ही अलग रहने पर मजबूर है और क्या वह विवाह विच्छेद की डिक्री प्राप्त करने का अधिकारी है।
इन सवालों पर विचार करने के बाद पति की अर्जी को नामंजूर कर दिया था। लेकिन हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को नामंजूर करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला दिया और आदेश रद कर याचिकाकर्ता पति के तलाक की अर्जी को मंजूरी दी।