BILASPUR.छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी व उपसंचालक ने जमानत याचिका दायर की थी। जिसे उन्होंने वापस ले लिया है। इससे पूर्व भी विशेष न्यायालय में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया था। पूर्व उपसंचालक पर पद पर रहते हुए पद का दुरूपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जीत करने का आरोप है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने विशेष न्यायालय में आरोप पत्र भी पेश कर दिया है।
बता दें, जिला शिक्षा अधिकारी के तौर पर सेवानिवृत्त आरएन हीराधर ने कोरबा, बिलासपुर सहित कई जिलों में अपनी सेवाएं दी। वर्ष 2020 में एंटी करप्शन ब्यूरो ने आय से अधिक संपत्ति होने पर आय का हिसाब मांगा था लेकिन वे सेवाकाल के दौरान एक करोड़ 72 लाख रूपए की चल-अचल संपत्ति का हिसाब नहीं दे पाए थे इस दौरान उन्होंने जांच में सहयोग भी नहीं किया था जिसके कारण विशेष न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की कोर्ट ने पूर्व संयुक्त संचालक की अर्जी को खारिज कर दिया।
सही पाए गए थे सभी इल्जाम
एंटी करप्शन ब्यूरो को आरएन हीराधर के पास आय से अधिक संपत्ति होने की शिकायत मिली थी। इसकी प्रारंभिक जांच की गई तो आए से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत सही पाई गई। इसके बाद भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) व 13 (2) के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था। जांच पूरी होने के बाद एसीबी की विशेष अदालत में चालान प्रस्तुत किया गया था।
गिरफ्तारी से बचने बीमारी का हवाला
एंटी करप्शन ब्यूरो के आरोप पत्र पेश करने के बाद संभावित गिरफ्तारी से बचने के लिए हीराधन ने अग्रिम जमान आवेदन लगाया था। आवेदन में 63 वर्ष होने व हृदय और मस्तिष्क की गंभीर बीमारी के साथ ही समाज में प्रतिष्ठा धूमिल होने का हवाला दिया था।