ISRAEL. इजरायल में शनिवार की सुबह रॉकेट हमलों और सायरन की आवाज के साथ हुई। फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने 20 मिनट में 5 हजार रॉकेट इजरायल में दागने का दावा किया। इस हमले में अब तक 100 से ज्यादा इजरायली लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 900 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हमास का दावा है कि उसने कई इजरायली सैनिकों और नागरिकों को बंधक बना लिया है।
हमास के हमले के बाद इजरायल ने भी ‘युद्ध’ की घोषणा कर दी। इजरायल द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन ‘आयरन स्वॉर्ड्स’ के जरिए हवा, जमीन और समुद्र से गाजा पट्टी में रॉकेट्स दागे गए। रात होते-होते मंजर बदल गया। इजरायल के जवाबी हमले में फिलिस्तीन के 198 लोगों मौतें हुई हैं और लगभग 1,500 घायल हैं। इजरायली वायु सेना के दर्जनों लड़ाकू विमानों ने पूरे गाजा पट्टी में आतंकवादी संगठन हमास के 17 सैन्य परिसरों और 4 हेडक्वार्टर पर हमला किया।
हमले में आखिर किसकी मिली मदद
हमास ने पूरी प्लानिंग के साथ इजरायल पर जोरदार हमला बोला। मगर, इस हमले के पीछे आखिर किसका हाथ था, यह सवाल जरूर अहम है। सबसे ज्यादा चर्चा कतर की हो रही है क्योंकि हमले के बाद हमास के चीफ दोहा में जश्न मनाते दिखे थे। वहीं, हमास के पास हथियारों का जखीरा और हथियार बनाने की तकनीक ईरान से मिलने की बात सामने आ रही है. इस हमले के बाद ईरान की संसद में खुशी मनाई गई।
विफल हो गया इजरायल का खुफिया तंत्र
इजरायल के खुफिया तंत्र को इस हमले के बारे में जरा भी अंदाजा नहीं लगा। यह दुनिया की सबसे तेजतर्रार एजेंसियों मोसाद और शिन बेट की विफलता को साफ दिखा रहा है। हमास के हमले के बाद इजरायल के पीएम नेतन्याहू ने सबसे पहले युद्ध की घोषणा की। फिर कैबिनेट की बैठक के बाद तीन एक्शन प्लान पर फैसला किया।
पहला उद्देश्य क्षेत्र में घुसपैठ करने वाली शत्रुतापूर्ण ताकतों को हटाना और उन समुदायों के लिए सुरक्षा और शांति बहाल करना है जिन पर हमला किया गया है. दूसरा मकसद, गाजा पट्टी के भीतर दुश्मन से भारी कीमत वसूलना है और तीसरा मकसद सभी मोर्चों को मजबूत करना है, ताकि कोई अन्य देश गलती से भी इस युद्ध में शामिल न हो सके।