BILASPUR.शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो चुकी है। भारत भर में आदिशक्ति के मंदिरों में देवी मां की पूजा-अर्चना विधि-विधान से शुरू की जा चुकी है। वहीं रतनपुर स्थित आदि शक्ति मां महामाया का दरबार भी सचकर तैयार है। माता का मंदिर में हजारों की संख्या में मनोकामना जोत प्रज्वलित किए गए है।
इस बार 29 हजार जोत है जिसमें से 20 हजार जोत तांबे के कलश में जलाए गए है। मंदिर समिति के मुताबिक मां महामाया मंदिर में अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना की विधि पूरी की गई। मंदिर में अब नौ दिनों तक 100 से अधिक पंडित यज्ञ-अनुष्ठान व पाठ करेंगे। मंदिर में सुबह एक कलश प्रज्वलित कर शाम तक सभी जोत को जलाए जाते है। जोत की संख्या अधिक होने से शाम तक का समय लग जाता है।
कल्चुरियों की कुल देवी थी मां महामाया
पहले रतनपुर में कल्चुरी वंश का शासन था। मां महामाया कल्चुलियों की कुल देवी थी। माना जाता है कि रत्नदेव जब युद्ध से वापस आकर पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे तब उनके स्वप्न में माता ने दर्शन दिए। तब से ही मंदिर का निर्माण कर माता की सुंदर प्रतिमा स्थापित की गई थी। तब से अब तक माता के प्रति आस्था लगातार बढ़ रही है।
तांबे के कलश में जलेंगे जोत
मंदिर में मनोकामना जोत 1982 से प्रज्वलित की गई थी। तब से लगातार मनोकामना जोत जलाए जा रहे है। 4 मनोकामना जोत सबसे पहले जलाए गए थे। तब से लगातार हर साल मनोकामना जोत की संख्या में वृद्धि हो रही है। इस साल भी लगभग 29 हजार जोत जलाए जाने की बात मंदिर समिति ने बताई है।
सीधे नवमीं को होगा राजसी श्रृंगार
शारदीय नवरात्रि की प्रथमा तिथि को माता के शैल पुत्री स्वरूप की पूजा की जाती है। मंदिर में भी आदिशक्ति का श्रृंगार शैलपुत्री के रूप में किया गया। मंदिर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंडित सतीश शर्मा के मुताबिक पहले दिन के बाद सीधे नवमीं को माता का राजसी श्रृंगार किया जाएगा। भक्तों की भीड़ के चलते सालों से ऐसा ही किया जाता है। नवमीं को 16 श्रृंगारित किया जाता है। जिसमें स्वर्ण के 16 खास आभूषण से श्रृंगारित किया जाएगा।