BHILAI. कला-साहित्य अकादमी द्वारा 31 जुलाई सोमवार को तीरंदाज कार्यालय में मुन्शी प्रेमचंद जयंती के अवसर पर मुन्शी प्रेम चंद के विचारों पर आधारित विचार गोष्ठी और श्रुति नाट्य का आयोजन किया गया। इस आयोजन का शीर्षक “मुन्शी प्रेमचंद और वर्तमान समय” था। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों ने प्रेमचंद की लिखी हुई दर्जनों कृतियों का उल्लेख किया।
कार्यक्रम की शुरुआत अध्यक्ष शक्ति पद चक्रवर्ती ने कला साहित्य अकादमी का परिचय देते हुए किया। जिसके बाद रंगकर्मी सुचिता मुखर्जी ने इस कार्यक्रम को आगे बढ़या। फिर स्वयं सिद्धा की संचालिका डॉ सोनाली चक्रवर्ती के निर्देशन में प्रेमचंद की रचनाओं पर आधारित श्रुति का प्रदर्शन किया गया।
इस प्रदर्शन में 12 महिलाओं ने प्रेमचंद की लेखनी की प्रासंगिकता को उल्लेखित किया। वहीं रायपुर से आई नीलिमा मिश्रा ने प्रेमचंद की लिखी हुई दर्जनों कृतियों का उल्लेख किया। इस बीच शायर मुमताज भारती ने कहा कि आज भी प्रेमचंद प्रासंगिक हैं और वे समसामयिक भी हैं। साथ ही कहा कि लेखक को लेखन बड़ा बनाता है।
बच्चों को ईदगाह सुनाई जानी चाहिए – मयंक चतुर्वेदी
तीरंदाज के प्रधान संपादक मयंक चतुर्वेदी ने इस दौरान राष्ट्रवादी और यथार्थवादी लेखन के रूप में प्रेमचंद की लेखनी को काफी अच्छे शब्दों में समझाया। उन्होंने कहा कि आज भी बच्चों को ईदगाह और इस तरह की कहानियां सुनाई जानी चाहिए।
भिलाई की वरिष्ठतम अभिनेत्री अनीता उपाध्याय ने अपने तीखे तेवर से कहा कि आज भी गांव में कफन जैसी कहानियां जीवित है। उन्होंने वर्षों साक्षरता अभियान में गांव गांव का दौरा कर यह अनुभव बटोरा है। उन्होंने कहा कि आज के लेखक पुरस्कार लेने की होड़ में समसामयिक समस्याओं को पीछे छोड़ देते हैं।
साथ ही मोहम्मद रही साहब की याद में याद-ए-रफ़ी का आयोजन करने वाले इक़बाल सिंह ओबेरॉय का कला-सहित्य अकादमी के द्वारा नेहरु सांस्कृतिक सदन सेक्टर 1 में सम्मान किया गया।