BHILAI. भिलाई के सेक्टर-10 स्थित श्री धनुर्धारी हनुमान मंदिर में एक विशेष मूर्ति विराजमान है। यह मूर्ति है प्रथम देव श्री गणेश भगवान की। इस मूर्ति की खास बात ये है कि यह पूरी मूर्ति पन्ना पत्थर से बनी है। वही पन्ना पत्थर जिसे रत्न के रूप में अंगूठी में धारण किया जाता है। यानी पूरी मूर्ति रत्न से बनी है।
पन्ना पत्थर से बनी यह मूर्ति क्यों विशेष है और इसकी खासियत क्या है, इसके बारे में बता रहे हैं इंदौर के जानेमाने ज्योतिषाचार्य पं. गिरीश व्यास। व्यास जी के अनुसार पन्ने के गणेश जी विशेषतया बल, बुद्धि को देने वाले होते हैं तथा गणेश जी स्वयं ही बुद्धि के दाता हैं। उनकी संपूर्ण आकृति भी हमें जीवन के अनेकों मूल्य को समझाने का प्रयास करती है। पन्ने के पत्थर के गणेश जी सर्वदा मैनेजमेंट तथा सही विचारधारा के कारक हैं तथा पन्ना नग बुध ग्रह के लिए उपयुक्त माना गया है।
दूर्वा चढ़ाने से खराब ग्रह भी अच्छे हो जाते हैं
पं. गिरीश व्यास के अनुसार जिस भी व्यक्ति के बुध ग्रह अच्छे होते हैं वह व्यक्ति बुध के नग को धारण करता है। इसी प्रकार जिस भी जातक के बुध ग्रह पीड़ित होंगे वह भगवान गणेश की पन्ने की मूर्ति पर दूर्वा चढ़ावे, जिससे खराब ग्रह भी अच्छे होंगे तथा आपके जीवन में सुख शांति प्रदान करेंगे। पन्ना की मूर्ति या कोई भी पाषाण की मूर्ति को विशेष दर्जा दिया गया। इसका पंचामृत आदि से अभिषेक करने से या दुर्वा के जल से अभिषेक करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा आपको मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
मनोकामना पूर्ण करने वाले
गणेश जी के अथर्वशीर्ष का पाठ करने से भी रुके हुए काम बनते हैं तथा पत्रिका में चल रहे प्रतिकूल ग्रह भी अनुकूल हो जाते हैं। साधारणतया आपको चाहिए कि आप पन्ना की मूर्ति पर जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक तथा पंचामृताभिषेक करें तथा भगवान गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं और भगवान के प्रिय मोदक का भोग लगाएं। इससे भगवान आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे तथा आपके आगे के मार्ग को प्रशस्त करें।
धनुर्धारी हनुमान भी अपने आप में अनोखे
मंदिर में हनुमान जी की जो प्रतिमा स्थापित है, उसमें वे गदा की जगह धनुष लिए हुए हैं। बताया जाता है कि यह देश में दूसरी ऐसी मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी धनुष लिए हैं। ऐसी पहली मूर्ति अयोध्या के भरतकुंड में स्थापित है। दोनों ही मूर्तियों की मूरत एक ही जैसी है।