सुकमा। सुकमा में मंगलवार को कलेक्टर के खिलाफ ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचकर घेराव कर दिया। पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा के लिए गेट बंद किया था लेकिन ग्रामीणों ने गेट तोड़कर कलेक्ट्रेट में प्रवेश किया और जमकर नारेबाजी की। ग्रमीणों लगातार कलेक्टर को हटाने की मांग करत रहे।
कलेक्ट्रेट परिसर का घेराव सर्व आदिवासी समाज के नेतृत्व में किया गया। समाज के लोगों का आरोप है कि कलेक्टर ग्रामीणों की समस्याएं नहीं सुनते हैं। यदि कोई अपनी समस्याएं लेकर पहुंचता भी है तो कलेक्टर उनसे मिलते भी नहीं है। 11 मार्च को सर्व आदिवासी समाज के लोग अपनी समस्या लेकर कलेक्टर से मिलने पहुंचे थे लेकिन कलेक्टर विनीत नंदनवार ने मिलने का समय ही नहीं दिया। सभी को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा था।
गेट पर तैनात की पुलिस
सर्व आदिवासी समाज के घेराव की जानकारी अधिकारियों को पहले से हो गई थी इसे देखते हुए गेट बंद कर जवानों को तैनात कर दिया गया था। लेकिन सर्वाधिक समाज की समाज के लोग हजारों की संख्या में वहां पहुंचे थे। उनके गुस्से के आगे सुरक्षा व्यवस्था कम पड़ गई गेट को धक्का मारकर ग्रामीणों ने खोला।
ग्रामीणा दौड़ते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंचे और जमकर नारेबाजी की। इस दौरान अधिकारी लगातार ग्रामीणों को समझाइश देते रहे। इस दौरान ग्रामीण लगभग 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक ग्रामीण नारेबाजी करते रहे। इस मौके पर पहुंचे अधिकारियों को मांग पत्र भी सौंपा गया।
इन मांगों में तेंदुपत्ता संग्राहकों को नगद भुगतान किया जाए। 100 गड्डी का 700 रुपए मिले। मनरेगा का लंबित भुगतान जल्द किया जाए। आदिवासी के नाम पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाकर काम कर रहे सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जाए। तीन नगर पंचायतों सुकमा, दोरनापाल और कोंटा को फिर से ग्राम पंचायत बनाया जाए।
धर्मांतरण करा रहे हैं ईसाई मिशनरीज
इस मौके पर ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र में आदिवासियों को बहला फुसला कर ईसाई मिशनरी के लोग धर्मांतरण करा रहे हैं। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करें। कई आदिवासियों को नक्सली बताकर जेल में बंद कर दिया गया है ऐसे मामलों की जांच कर जल्द से जल्द उन्हें रिहा किया जाए।एड्समेट गोली कांड में मारे गए निर्दोष आदिवासियों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।
इसी प्रकार सरकार के शर्तों के अनुसार बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। वन अधिकार अधिनियम 2006 को पूरी तरह लागू किया जाए। पांचवी अनुसूची क्षेत्र में पेसा कानून लागू किया जाए। सुकमा के सुपनार गांव से विदेशी मदिरा दुकान हटाया जाए। जिले में शिक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अचछी शिक्षा के स्थानीय पात्र शिक्षित युवाओं को शिक्षादूत के रूप में भर्ती किया जाए।